मेहुल चोकसी: आर्थिक अपराधी घोषित करने की ईडी की याचिका मुंबई की एक अदालत में सात सालों से लंबित

- हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी सुनवाई टली
- वकीलों के जरिए विशेष अदालत के समक्ष आवेदन दायर करता रहा चोकसी
- ईडी ने जुलाई 2018 में दायर की थी याचिका
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई की एक अदालत में भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को आर्थिक अपराधी घोषित करने वाली ईडी की याचिका पिछले सात साल से लंबित है। आपको बता दें फरार हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार किया गया। आपको बता दें ईडी की ओर से जुलाई 2018 में याचिका दायर कर मेहुल को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने और इस एक्ट के तहत उसकी संपत्ति जब्त करने की मांग की थी। लेकिन मामले में बार बार सुनवाई और देरी के चलते ये अधर में लटकी। जबकि आरोपी चोकसी बॉम्बे हाईकोर्ट में अपने वकीलों से बार बार कई आवेदन लगाता रहा। आरोपी ने ईडी की याचिका में कई खामियों को लेकर अदालत में आरोप लगाए।
इसके बावजूद, मेहुल को एफईओ घोषित करने पर सुनवाई शुरू नहीं हो सकी, क्योंकि चोकसी अपने वकीलों के जरिए स्पेशल कोर्ट में एक के बाद एक एक कर अपने वकीलों के जरिए आवेदन दायर करता रहा। इनमें से ज्यादातर याचिकाएं खारिज कर दी गईं, लेकिन कुछ अभी भी लंबित हैं। ईडी के एफईओ आवेदन पर जारी नोटिस को वापस लेने की याचिका के जरिए कार्यवाही को रोकने का उसकी हालिया कोशिश दिसंबर, 2023 में खारिज कर दी गई थी।
ईडी के आवेदन को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए मेहुल ने आरोप लगाया था कि जांच एजेंसी ने आवेदन दायर करने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया, इसलिए यह दोषपूर्ण है। साथ ही, उसके भारतीय पासपोर्ट के निलंबन के कारण उसके लिए जांच के लिए वापस आना असंभव हो गया है। हालांकि सितंबर, 2023 में उच्च न्यायालय ने उसकी याचिका खारिज कर दी व फैसला सुनाया कि ईडी ने एफईओ एक्ट के तहत निर्धारित प्रारूप का पालन किया है। साथ ही, स्पेशल कोर्ट की कार्यवाही पर लगी रोक भी हटा दी।
हालांकि स्पेशल कोर्ट मेहुल के भतीजे नीरव मोदी को पहले ही भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर चुकी है। वह 2019 से लंदन की जेल में बंद है। इस साल फरवरी में भी सुनवाई फिर स्थगित हुई। इसे लेकर ईडी के एक अधिकारी ने कहा था कि कोर्ट को तुच्छ आवेदनों से बिजी रखा जाता है। याचिका पेश होने के बाद स्पेशल कोर्ट को सुनवाई जारी रखनी चाहिए थी और भविष्य की कार्यवाही पर फैसला लेना चाहिए था। उन्होंने स्पेशल कोर्ट से आग्रह किया था कि वह इसी तरह के आवेदन बार-बार दायर किए जाने पर ध्यान दे और उन पर विचार न करे।
Created On :   15 April 2025 9:19 AM IST