राम मंदिर: 394 स्तंभ, 44 दरवाजे, पांच मंडप, इतना भव्य होगा राम मंदिर, जानिए और क्या क्या हैं विशेषताएं
- 22 तारीख को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम
- मंदिर की भव्यता मोह लेगी लोगों का मन
- मंदिर परिसर में मिलेंगी ये सुविधाएं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लंबे संघर्ष के बाद अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर बनकर तैयार है। 22 जनवरी को नव-निर्मित मंदिर के गर्भ-गृह में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। देश का हिन्दू समुदाय इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने के लिए उत्सुक है। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों मंदिर का पूजन कार्यक्रम संपन्न होगा। इस दौरान हजारों की संख्या में लोग मंदिर परिसर में मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही है। गर्भ-गृह में स्थापित होने वाली रामलला की मूर्ति का चुनाव भी कर लिया गया है। इसी बीच श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अयोध्या के भव्य राम मंदिर की विशेषताएं बताई हैं। ट्रस्ट ने भव्य राम मंदिर का नक्शा भी साझा किया है।
ट्रस्ट ने राम मंदिर के क्षेत्रफल से लेकर वास्तुकला और भीतर की सभी विशेषताओं का वर्णन किया है। उन्होंने बताया कि मंदिर तीन मंजिला है और इसका निर्माण नागर शैली में किया गया है। 70 एकड़ भूमि के उत्तरी भाग पर मंदिर का निर्माण किया गया है। गर्भ-गृह में रामलला की मूर्ति विराजमान होगी और पहले मंजिल पर श्री राम दरबार होगा। मंदिर की कुल लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और उंचाई 161 फीट बताई जा रही है। वहीं प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट है।
मंदिर की वास्तुकला
मंदिर का निर्माण परंपरागत नागर शैली में हुआ है। मंदिर के चारों और आयातकार परकोटा रहेगा जिनकी चारों दिशाओं में कुल लंबाई 732 मीटर और चौड़ाई 14 फीट है। परकोटा के चारों कोनों पर चार मंदिरों का निर्माण किया गया है। इन चार मंदिरों में भगवान शिव, मां भगवती, गणपति और सूर्यदेव की मंदिर रहेगी। वहीं उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा और दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर होगा। मंदिर के नजदीक इसके अलावा मंदिर में प्रार्थना, कीर्तन, सभा, नृत्य और रंग नाम से कुल पांच मंडप होंगे। इस भव्य मंदिर में 392 स्तंभ और 44 दरवाजे हैं। मंदिर के खंभों और दीवारों पर देवी-देवता और देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी गई है। 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से रामभक्त पूर्व दिशा से मंदिर में प्रवेश करेंगे।
राम मंदिर की विशेषताएं
राम मंदिर के नजदीक पौराणिक काल का सीताकूप भी रहेगा। इसके साथ ही परिसर में अन्य मंदिर भी प्रस्तावित है। प्रस्ताव के मुताबिक महर्षि वाल्मीकि, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि निषादराज और देवी अहिल्या को समर्पित मंदिरें भी होंगी। पूरा निर्माण कार्य भारतीय परंपरा के मुताबिक और स्वदेशी तकनीक के मदद से किया गया है। मंदिर बनाते समय पर्यावरण और जल संरक्षण को विशेष महत्व दिया गया है। पूरे 70 एकड़ के मंदिर परिसर का 70 प्रतिशत हिस्सा हमेशा हरा-भरा रहेगा।
मंदिर निर्माण में लोहा का इस्तेमाल नहीं किया गया है साथ ही भूमि के ऊपर कंक्रीट का इस्तेमाल भी नहीं किया गया है। हालांकि, कृत्रिम चट्टान का रूप देकर मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी आरसीसी (रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट) की परत बनाई गई है। मंदिर को जमीन की नमी से बचाने के लिए विशेष उपाय किया गया है, ग्रेनाइट से 21 फीट उंची प्लिंथ का निर्माण किया गया है। बाहरी संसधानों पर मंदिर परिसर की निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से सभी जरूरी चीजों का निर्माण परिसर के स्वतंत्र इस्तेमाल के लिए भीतर ही कर दिया गया है जैसे कि पॉवर स्टेशन, पानी की व्यवस्था, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, सीवर ट्रीटमेंट प्लांट और अग्निशमन की व्यवस्था।
मंदिर परिसर में मिलेंगी ये सुविधाएं
दर्शन के लिए आने वाले लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ढेर सारी व्यवस्थाएं मंदिर परिसर में की गई है। यहां 25 हजार लोगों की क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र बनाया गया है। इस सुविधा केंद्र में सामान रखने के लिए लॉकर और दर्शनार्थियों के संभावित स्वास्थ्य समस्याओं के निवारण के लिए चिकित्सा की सुविधा भी दी गई है। इसके अलावा शौचालय, ओपन टैप्स, वॉश बेसिन और स्नानागार जैसी बेसिक सुविधाएं भी मौजूद रहेंगी।
Created On :   5 Jan 2024 11:34 PM IST