गर्भवती महिला के मारिजुआना और नशीली दवाओं के सेवन से गर्भस्थ शिशु हो सकता है मोटापे और मधुमेह का शिकार

Pregnant womans use of marijuana and drugs can lead to obesity and diabetes in the fetus
गर्भवती महिला के मारिजुआना और नशीली दवाओं के सेवन से गर्भस्थ शिशु हो सकता है मोटापे और मधुमेह का शिकार
ना करें ये गलती गर्भवती महिला के मारिजुआना और नशीली दवाओं के सेवन से गर्भस्थ शिशु हो सकता है मोटापे और मधुमेह का शिकार
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  • गर्भवती महिला के मारिजुआना और नशीली दवाओं के सेवन से गर्भस्थ शिशु हो सकता है मोटापे और मधुमेह का शिकार

डिजिटल डेस्क, न्यूयॉर्क। अगर कोई गर्भवती महिला मारिजुआना या टीएचसी और सीबीडी केमिकल युक्त किसी प्रकार की नशीली दवाओं का सेवन करती है, तो गर्भस्थ शिशु के बचपन में ही मोटापे तथा मधुमेह पीड़ित होने की संभावना बढ़ जाती है।

जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित शोध रिपोर्ट के अनुसार, कई गर्भवती महिलायें कैनबिडियोल (सीबीडी) रसायन युक्त दवायें ऑनलाइन या दवा दुकानों से खरीदती हैं।

ये महिलायें एंग्जाइटी, अवसाद, अनिद्रा, दर्द, मतली आदि के सुरक्षित विकल्प के रूप में इन दवाओं को लेती हैं। अधिकतर सीबीडी उत्पाद औद्योगिक भांग से बनाये जाते हैं। इनमें टेट्राहाइड्रोकोनाबिनोल (टीएचसी) की बहुत कम मात्रा होती है।

शोध में शामिल कोलोराडो के ऑरोरा स्थित कोलोराडो स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की सहायक प्रोफेसर ब्रायना मूर ने सीएनएन को बताया कि यह एक गलत धारणा है कि गांजा, भांग या मारिजुआना सुरक्षित है।

उन्होंने कहा कि इसी गलत धारणा के कारण कई महिलायें गर्भावस्था में इसे अन्य दवाओं के विकल्प के रूप में ले लेती हैं और कई बार वे डॉक्टर द्वारा लिखी गयी दवा के विकल्प के रूप में भी इसे सुरक्षित मानते हुये ले लेती हैं।

इस शोध के लिये राष्ट्रीय अभियान हेल्थी स्टार्ट के तहत कोलोराडो में पंजीकृत 103 गर्भवती महिलाओं के यूरिन की जांच की गयी। जांच से पता चला कि 15 प्रतिशत महिलाओं के यूरिन में टीएचसी, सीबीडी सहित कई प्रकार के कैनबिनॉएड्स पाये गये। टीएचसी ऐसा रसायन है, जो डोपामाइन रिलीज करता है, जिससे नशा महसूस होता है।

शोध से पता चला है कि जिन महिलाओं में टीएचसी और सीबीडी के अंश पाये गये, उनके बच्चे पांच साल की उम्र तक में मोटापे या मधुमेह की चपेट में आ सकते हैं।

गर्भावस्था के दौरान महिला द्वारा मारिजुआना आदि का सेवन करने पर गर्भस्थ शिशु पर उसके प्रभाव को लेकर पहले भी कई शोध किये गये हैं।

ऐसा ही शोध सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल ने भी किया था, जिससे पता चला कि इससे गर्भस्थ शिशु में असामान्य न्यूरोलॉजिकल डेवलपमेंट हो सकता है। इसके साथ ही उसके ऑटिज्म के शिकार होने, हाइपर एक्टिव होने, अटेंशन सीकर होने की संभावना बढ़ जाती है। बच्चे में अन्य व्यवहार संबंधी परेशानियां भी आ सकती हैं।

आईएएनएस

Created On :   5 April 2022 5:00 PM IST

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