भास्कर एक्सक्लूसिव: हिंसा के तीन 'चेहरे', इशारों पर 'नाचा' पूरा बांग्लादेश, 25 की उम्र में कर दिया 'शेख राज' को समाप्त, अब अंतरिम सरकार में होगी अहम भूमिका!
- 5 अगस्त को शेख हसीना ने दिया पीएम पद से इस्तीफा
- भारत में हैं पूर्व पीएम शेख हसीना
- हिंसा के तीन चेहरों पर बहुत कुछ करेगा निर्भर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में बीते एक महीने से आरक्षण के खिलाफ हिंसा जारी थी। जिस पर काबू पाने के लिए शेख हसीना की सरकार ने पुरजोर कोशिश की। हालांकि, हालात इतने बेकाबू हो गए कि 5 अगस्त को शेख हसीना को पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। साथ ही, उन्हें देश भी छोड़ना पड़ा। इस वक्त शेख हसीना भारत में हैं। यहां से वह ब्रिटेन या फिर फिनलैंड जा सकती हैं। हालांकि, चर्चा अब हिंसा को लेकर हो रही है। सभी के जहन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर बांग्लादेश में हिंसा क्यों भड़की। साथ ही, इस हिंसा के पीछे किसका हाथ था?
10 दिन में कर दिया तख्तापलट
बांग्लादेश हिंसा में तीन छात्र जमकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन में आगे रहे। जिनके नाम नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद और अबू बकर मजूमदार हैं। ये तीनों ही छात्र ढाका यूनिवर्सिटी में पढ़ते हैं। तीनों ही छात्र आरक्षण के खिलाफ चलने वाले विरोध प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 19 जुलाई को तीनों ही छात्र को अगवा कर लिया गया था। हालांकि, पूछताछ के बाद इन्हें 26 जुलाई को छोड़ दिया गया था। इसके बाद आंदोलन को इन लोगों एक बार फिर पटरी पर लाने का काम किया और करीब 10 दिन बाद ही देश में तख्तापलट हो गया। आंदोलन के दौरान एक समय ऐसा भी आया, जब बांग्लादेश की क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं से ज्यादा रुतबा इन तीन छात्र नेताओं को देखने को मिला। इनके एक इशारे पर पूरा देश आरक्षण के खिलाफ खड़ा हो उठा और देखते ही देखते देश में तख्तापलट हो गया। अब बांग्लादेश की कमान सेना के हाथों में हैं। अंतरिम सरकार के गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है, जिसमें तीनों छात्रों की भूमिका अहम होने वाली है।
कोटा सिस्टम बना मुद्दा
तीनों छात्रों ने मंगलवार को एक वीडियो जारी किया। जिसमें उन्होंने कहा कि अंतरिम सरकार के मुखिया डॉ. युनूस होंगे। बता दें कि, डॉ. युनूस नोबेल विजेता अर्थशास्त्री हैं। आंदोलन के सबसे बड़े चेहरों में से नाहिद इस्लाम ढाका यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के छात्र हैं। नाहिद स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन मूवमेंट के भी नेता हैं। SADM के बैनर तले छात्रों ने शेख हसीना सरकार से बांग्लादेश में कोटा सिस्टम में बदलाव करने की मांग की थी। बता दें कि, बांग्लादेश में 30 फीसदी आरक्षण बांग्लादेश में मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लोगों के परिवार को मिलता है। ऐसे में छात्रों की मांग की थी कि 30 फीसदी कोटा सिस्टम को समाप्त किया जाए।
तीन छात्र बने देश के 'स्टार'
आंदोलन में नाहिद के सहयोगी आसिफ महमूद ढाका यूनिवर्सिटी में भाषाशास्त्र के छात्र हैं। वहीं, अबू बकर मजूमदार भी ढाका यूनिवर्सिटी से ही पढाई कर रहे हैं। इन तीनों छात्रों की उम्र 25 वर्ष के आसपास हैं। प्रदर्शन करने वाले छात्रों की मांग थी कि बांग्लादेश में कोटा सिस्टम को समाप्त किया जाए। जिसमें तीनों छात्राओं ने अहम भूमिका निभाई।
Created On :   6 Aug 2024 4:00 PM IST