बगावत करने वाला वैगनर ग्रुप कई बार बना पुतिन की ढाल, ये समूह न होता तो मुश्किल था यूक्रेन से क्रीमिया हथियाना
- वैगनर ग्रुप का बढ़ता 'जाल'
- अमेरिका ने वैगनर समूह को बताया 'क्रुर'
डिजिटल डेस्क, मॉस्को। पिछले कई दिनों से 'वैगनर ग्रुप' को लेकर देश दुनिया में खूब चर्चा है। दुनिया की तमाम प्रतिष्ठित अखबारों में लंबे-लंबे लेख छपे कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपने ही साथी के जाल में फंस गए। लेकिन महज 24 घंटे के अंदर पुतिन ने ऐसा जाल फेंका की वैगनर ग्रुप के मुखिया येवगेनी प्रिगोझिन फंस गए और गृहयुद्ध जैसे बने हालात पूरी तरह शांत हो गए। वैगनर ग्रुप पहली बार चर्चा में नहीं आया है इससे पहले भी कई बार चर्चाओं में आ चुका है। रूसी सेना के साथ मिलकर दुश्मन देश पर धावा बोलने से लेकर सीरिया के गृहयुद्ध को शांत करने तक, सभी में यह समूह चर्चा में रहा है। तो आइए जानते हैं कि वैगनर ग्रुप ने कैसे पुतिन के साथ मिलकर अपने पड़ोसी देशों के दांत खट्टे किए हैं।
साल 2013 में बना वैगनर ग्रुप
सबसे पहले जानते हैं वैगनर ग्रुप कब अस्तित्व में आया। बता दें कि, वैगनर ग्रुप की स्थापना साल 2013 में हुई थी। इसका गठन रूसी सेना की स्पेशल फोर्स में लेफ्टिनेंट कर्नल रहे दिमित्री दुत्किन ने की थी, जो पहले कमांडर थे। इनके ही निक नेम पर इस ग्रुप का नाम 'वैगनर' रखा गया। इस ग्रुप में 35 से 50 साल की उम्र के लोगों को शामिल किया जाता है। अपने गठन के कुछ ही दिनों के बाद चेचन्या और जॉर्जिया के साथ लड़ाई शुरू कर दी थी।
सीरिया की मदद कर चुका है वैगनार ग्रुप
- वैगनर ग्रुप को लेकर कहा जाता है कि अपने अस्तिव में आने के कुछ ही दिनों के बाद बदनाम हो गया था। जिसका मुख्य कारण था उसकी क्रुरता। वैगनर ग्रुप पर वॉर क्राइम के आरोप लगते रहे हैं।
- वैगनर ग्रुप के लड़ाके सीरिया में भी तैनात रहे हैं। जब वहां के राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ गृहयुद्ध छिड़ गया था। तब रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने वैगनर ग्रुप की सहायता से सीरिया में स्थिरता कायम की थी।
- वैगनार ग्रुप को लेकर अमेरिकी विदेश उपसचिव विक्योरिया नूलैंड ने दावा किया था कि, यूक्रेन में ऑपरेशन चलाने के लिए वैगनर ग्रुप अफ्रीका में सोने और दूसरे संसाधनों तक अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर रही है।
वैगनर ने क्रीमिया कब्जाने में रूस की मदद की
- साल 2013 में बने वैगनर ग्रुप की, जंग में पहली एंट्री साल 2014 में हुई थी। वैगनर ग्रुप पर आरोप लगते रहे हैं कि उसने ही पूर्वी यूक्रेन में अलगाववाद बढ़ाने में रूस की मदद की थी। ऐसे भी दावे किए जाते हैं कि क्रीमिया कब्जाने में वैगनर ग्रुप के लड़ाकों ने रूस की काफी मदद की थी।
- दरअसल वैगनर ग्रुप पर फरवरी 2014 में आरोप लगे कि उसने रूस सरकार के कहने पर क्रीमिया के सरकारी दफ्तरों और इमारतों में जोर जबरदस्ती से कब्जा करने की कोशिश की।
- जानकारी के लिए बता दें कि, क्रीमिया पर कब्जा पहले रूस का हुआ करता था लेकिन साल 1954 में तत्कालिन सोवियत संघ के नेता रहे निकिता ख्रुश्चेव यूक्रेन को क्रीमिया तोहफे में दे दिया था। लेकिन 1991 में जब सोवियत संघ टूटा और रूस और यूक्रेन अलग-अलग देश बने तो क्रीमिया को लेकर दोनों के बीच विवाद गहराता गया।
- तमाम उठापटक के बीच रूस ने 18 मार्च 2014 को आधिकारिक रूप से क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। लेकिन रूस के कब्जे के बावजूद यूक्रेन और रूस की सेना में संघर्ष चलता रहा। इस पूरे घटनाक्रम में वैगनर ग्रुप ने बड़ी अहम भूमिका निभाई थी। वैगनर समूह के लड़ाकों ने रूस सरकार की ओर से यूक्रेन से लड़े थे। कहा जाता है कि रूसी सेना के साथ वैगनर ग्रुप ने भी इस जंग को जीतने में काफी अहम भूमिका निभाई थी।
क्रीमिया के बाद डोनेत्स्क और लुहांस्क में वैगनार की भूमिका
- क्रीमिया पर कब्जा करने के कुछ ही दिनों बाद रूस की पूर्वी यूक्रेन के डोनेत्स्क और लुहांस्क से संघर्ष शुरू हो गया। संघर्ष होने का मुख्य कारण रहा, यूक्रेन ने रूस पर आरोप लगाया कि उसने यूक्रेन को अस्थिर करने के लिए इन क्षेत्रों में अलगाववादियों को फंडिंग के साथ हथियार भी मुहैया करवाए।
- कहा जाता है कि डोनेत्सक और लुहांस्क में वैगनर ग्रुप ने अलगाववादियों की मदद की थी। साल 2014 में डोनेत्स्क और लुहांस्क ने खुद को अलग देश घोषित कर दिया।
युक्रेन में मौजूद वैगनर ग्रुप के लड़ाके
बीते साल जब रूस ने यूक्रेन से युद्ध करने की घोषणा की तो सबसे पहले पुतिन ने डोनत्स्क और लुहांस्क को अलग देश को तौर पर मान्यता दे दी थी। दावा तो यह भी किया जाता है कि आज भी यूक्रेन में वैगनर ग्रुप के लड़ाके हैं जो पुतिन के इशारे पर काम करते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुतिन ने वैगनर ग्रुप को यूक्रेन युद्ध में उतारने का मकसद सिर्फ जीत दर्ज करना है। पुतिन चाहते हैं कि जल्द से जल्द इस युद्ध के सामाप्त कर जीत का ताज अपने सिर सजाया जा सके।
जेल का सहारा लिया
येवगेनी प्रिगोझिन को लेकर कहा जाता है कि उन्होंने अपनी टीम बड़ी करने के लिए रूस की जेलों का सहारा लिया। वहां बंद कैदियों को वैगनर ग्रुप से जोड़ने के लिए प्रलोभन दिया और उन्हें जेल से छुड़वाने की बात कही थी। जिसका साथ रूसी सरकार ने भी दिया है। एक इंटरव्यू के दौरान वैगनर ग्रुप के मुखिया प्रिगोझीन ने कहा था कि, इस समूह को बढ़ाने के लिए हमने 50 हजार से अधिक कैदियों को भर्ती किया है। इस ग्रुप को लेकर अमेरिका दावा करता है कि अभी इस ग्रुप में 50 हजार लड़ाके मौजूद हैं। जिनमें 10 हजार भाड़े के सैनिक जबकि 40 हजार कैदी हैं।
Created On :   27 Jun 2023 5:09 PM IST