अब भारत में ही बनेंगे लड़ाकू विमानों के इंजन, भारत और अमेरिका के बीच हुआ ऐतिहासिक समझौता

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका की जीई एयरोस्पेस और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के बीच हल्के फाइटर प्लेन के F414 इंजन बनाने का समझौता हो गया है। इस समझौते के तहत अब भारतीय लड़ाकू विमानों के इंजन भारत में ही बनेंगे। पहले इन्हें सप्लाई करने का काम जीई करती थी। यह ऐतिहासिक समझौता पीएम मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान हुआ है।
इसी के साथ समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री मोदी के साझा बयान में भारत को हथियारबंद ड्रोन बेचे जाने का ऐलान होगा। एजेंसी ने व्हाइट हाउस के हवाले से बताया कि 22 जून को दोनों राष्ट्र प्रमुख जनरल एटमिक्स एमक्यू-9 रीपर सशस्त्र ड्रोन की खरीद को लेकर एक बड़े समझौते की घोषणा करने वाले हैं। व्हाइट हाउस के मुताबिक इस समझौते से भारत को सुरक्षा की दृष्टि से फायदा पहुंचेगा। खासकर चीन से लगी बॉर्डर पर यह ज्यादा कारगर साबित होगा।
इस समझौते के बाद जीई कंपनी भारत की एचएएल को लाइसेंस के तहत इंजन बनाने का काम सौंप सकता है। इसके अलावा जीई एचएएल को इंजन निर्मित करने के लिए टेक्नोलॉजी और डिजाइन प्रोवाइड कर सकता है। इससे भारत में फाइटर प्लेन के इंजन का निर्माण संभव हो सकेगा। अगर ये इंजन भारत निर्मित होने लगे तो हमें हमारे फाइटर जेट्स के इंजन खरीदने के लिए किसी दूसरे देश के सामने हाथ नहीं फैलाने पड़ेंगे।
जीई ने समझौते को बताया ऐतिहासिक
अमेरिकी की जीई एयरोस्पेस इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा है कि इससे दोनों देशों को आर्थिक और सुरक्षा से जुड़े कई फायदे होंगे। जीई एयरोस्पेस के सीईओ एच लॉरेंस कल्प जूनियर ने कहा कि, 'यह समझौता भारत और एचएएल के साथ हमारे लंबे गठजोड़ की वजह से संभव हो पाया। इस समझौते से भारतीय एयरफोर्स के हल्के फाइटर प्लेन बनाने के प्रोग्राम एमके2 में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।'
बता दें कि भारत में जीई एयरोस्पेस कंपनी इंजन, एवियोनिक्स, सेवाओं, इंजीनियरिंग और लोकल सोर्सिंग में संलग्नता के साथ 40 से ज्यादा सालों से मौजूद है।
Created On :   22 Jun 2023 8:49 PM IST