अफगानिस्तान की वो जगह जिसके नाम से कांपता है तालिबान!
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- तालिबान पर भारी ये 'पांच शेर'
डिजिटल डेस्क, अफगानिस्तान। तालिबान ने भले ही पूरा अफगानिस्तान फतह कर लिया हो। पर इसी देश में एक इलाका ऐसा भी है जहां कदम रखने में ही तालिबान के पसीने छूटते हैं। ये वही इलाका है जहां से पहले भी ऐसे मिशन छेड़े गए हैं जिसने तालिबान के छक्के छुड़ा दिए थे. अब एक बार फिर यही इलाका तालिबान के गले की फांस बना हुआ है। इस इलाके का नाम है पंजशीर यानि कि पांच शेर।
कहां है पंजशीर घाटी?
पंजशीर फारसी शब्द है जिसका मतबल है पांच शेर या बब्बर शेर। फ़ारसी में "शेर" का मतलब "बाघ" की बजाए बब्बर शेर होता है। इस वादी का नाम पाँच भाईयों के सम्मान में रखा गया था। माना जाता है कि जिन्होनें 10 वीं शताब्दी में महमूद ग़ज़नी ले लिए यहाँ एक दुर्गम नदी पर बाँध बनाया था। इसलिए इसे पंजशीर घाटी कहा जाता हैं।
पंजशीर घाटी के हर जिले में ताजिक जाति के लोग मिलेंगे। सालंग में ये बहुमत में हैं। ताजिक असल में अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े एथनिक ग्रुप हैं, देश की आबादी में इनका हिस्सा 25-30% है। पंजशीर में हजारा समुदाय के लोग भी रहते हैं जिन्हें चंगेज खान का वंशज समझा जाता है। इसके अलावा पंजशीर में नूरिस्तानी, पशई जैसे समुदायों के लोग भी रहते हैं।
इस घाटी में पन्ना खनन का बड़ा हब तैयार हो सकता है। मध्य काल में, पंजशीर चांदी खनन के लिए मशहूर था। 1985 तक वहां 190 कैरट्स तक के क्रिस्टल मिले हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां जो क्रिस्टल मिले, उनकी क्वालिटी कोलंबियां की मूजो खदानों में मिले सबसे बेहतरीन क्रिस्टल्स जैसी है।
तालिबान की बढ़ेंगी मुश्किलें
पंजशीर घाटी अब भी तालिबान के खिलाफ मजबूती के साथ खड़ा हैं। तजाकिस्तान में अफगान राजदूत जह़़ीर अघबर के मुताबिक पंजशीर घाटी प्रांत अफगानिस्तान के पहले उपराष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह द्वारा तालिबान के खिलाफ विरोध के लिए एक गढ़ के रूप में काम करेगा। बता दें कि सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया है। अमरूल्लाह साहेल का जन्म पंजशीर प्रांत में हुआ था। वह वहीं प्रशिक्षित हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि पंजशीर घाटी हमेशा विरोध का केंद्र बना रहा। इसलिए इस प्रांत को कोई कभी जीत नहीं सका। सोवियत संघ,अमेरिका और तालिबान अभी तक इस क्षेत्र पर कभी नियंत्रण नहीं कर सका। तालिबान ने अब तक पंजशीर पर हमला नहीं किया हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि पंजशीर घाटी ऐसी जगह हैं कि जहां पर हमला न होने का प्रमुख कारण हैं कि यह प्राकृतिक किला बनाता हैं। पंजशीर घाटी क्षेत्र को नॉर्दर्न एलायंस भी कहा जाता है। नॉर्दर्न एलायंस साल 1996 से लेकर 2001 तक काबुल पर तालिबान शासन का विरोध करने वाले विद्रोही समूहों का गठबंधन था। इस गठबंधन में अहमद शाह मसूद,अब्दुल कादिर के साथ ही अब्दुल्ला अब्दुल्ला, मोहम्मद मोहकिक, अमरुल्ला सालेह,करीम खलीली, आसिफ मोहसेनी,अब्दुल राशिद दोस्तम आदि शामिल थे। ये सभी पंजशीर के सबसे बडे़ नेताओं में आते हैं।
पंजशीर घाटी की चुनौती
पंजशीर पर कब्जे की हर कोशिश नाकाम रही है। अफगानिस्तान पर जब अमेरिका बम बरसा रहा था, उस वक्त भी पंजशीर उसके पहुंच से दूर रहा। बता दें कि इस घाटी में ना तो कोई खूनी संघर्ष हुआ, ना ही कोई आपदा आई। इसी कारण से अमेरिकी मानवीयता कार्यक्रमों के तहत इसे मदद भी नहीं मिल सकी। सात जिलों वाले प्रांत के 512 गांवों में आज भी पंजशीर में बिजली और पानी की आपूर्ति तक नहीं होती। रोज कुछ घंटे जनरेटर चलाकर लोग काम चलाते हैं।
Created On :   20 Aug 2021 4:56 PM IST