कब करेगा अमेरिका अपने वचन का पालन?
- संवाद को मजबूत करेंगे
डिजिटल डेस्क, बीजिंग। स्थानीय समय के अनुसार, 13 जून को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी के पोलित ब्यूरो के सदस्य, सीपीसी केंद्रीय कमेटी की वैदेशिक कार्य समिति के कार्यालय के निदेशक यांग च्येछी ने लक्जमबर्ग में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन के साथ 4 घंटे तक वार्ता की।
वार्ता के बाद सामने आई जानकारी के अनुसार, दोनों पक्षों ने सदिच्छापूर्ण, गहन और रचनात्मक संवाद और आदान-प्रदान किया, और सहमति प्राप्त की कि दोनों राष्ट्राध्यक्षों द्वारा प्राप्त महत्वपूर्ण सहमतियों के कार्यान्वयन को मुख्य लाइन बनाते हुए संपर्क और संवाद को मजबूत करेंगे, गलतफहमियों और गलत निर्णयों को कम करेंगे, और मतभेदों का ठीक से प्रबंधन करेंगे।
यह एंकोरेज, ज्यूरिख और रोम तीनों स्थलों में हुई वार्ताओं के बाद, चीनी और अमेरिकी उच्च स्तरीय अधिकारियों के बीच इधर के दो सालों में हुई चौथी आमने-सामने की वार्ता है। इस वार्ता ने बाहरी दुनिया को आदान-प्रदान और संवाद बनाए रखने के लिए चीन और अमेरिका की इच्छा प्रदर्शित की। खासकर चीन जिम्मेदार रुख अपनाते हुए अमेरिका को दोनों राष्ट्राध्यक्षों द्वारा प्राप्त आम सहमतियों के कार्यान्वयन को लगातार आगे बढ़ाता है, और जटिल चीन-अमेरिका संबंधों के निपटारे के लिए नवीनतम योगदान दिया।
वर्तमान में चीन-अमेरिका संबंध एक महत्वपूर्ण चौराहे पर हैं। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने आपसी सम्मान, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, सहयोग व उभय जीत वाले तीन सिद्धांत पेश किए, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी कई बार यह वचन दिया कि अमेरिका नए शीत युद्ध से लड़ने की कोशिश नहीं करता है, चीन की व्यवस्था को बदलने की कोशिश नहीं करता है, गठबंधन को मजबूत करके चीन का विरोध नहीं करता है, थाईवान स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करता है, और अमेरिका के पास चीन के साथ संघर्ष करने का कोई इरादा नहीं है।
मौजूदा वार्ता में चीन ने स्पष्ट रूप से चीन-अमेरिका संबंधों में सुधार को बढ़ावा देने का विचार व्यक्त किया, अर्थात तीन सिद्धांतों को साकार करने के लिए मार्ग और पद्धति का पता लगाना है। इसके साथ ही चीन ने भी स्पष्ट रूप से अमेरिका के सामने अपनी आशा व्यक्त की है, अर्थात, राष्ट्रपति बाइडेन अपने द्वारा दिए गए वचनों का पालन करते हुए चीन के साथ मिलकर एक ही दिशा की ओर आगे बढ़ेंगे।
मौजूदा वार्ता में चीन ने शिनच्यांग, हांगकांग, तिब्बत, दक्षिण चीन सागर, मानवाधिकार और धर्म आदि मुद्दों को लेकर अमेरिका के सामने अपना गंभीर रुखों की व्याख्या की, विशेष रूप से बल दिया कि थाईवान मुद्दा चीन-अमेरिका संबंधों की राजनीतिक नींव से संबंधित है, और अगर इसे ठीक से नहीं संभाला गया, तो इसका विध्वंसक प्रभाव पड़ेगा। हाल ही में सिंगापुर में आयोजित 19वीं शांगरी-ला वार्ता में भी चीन ने स्पष्ट रूप से अपना रूख जताया कि अगर कोई थाईवान को विभाजित करने की हिम्मत करता है, तो हम निश्चित रूप से अंत तक लड़ेंगे, चाहे कोई भी कीमत हो। इस तरह, अमेरिका को यह महसूस करना चाहिए कि थाईवान मुद्दे पर आग से खेलने से निश्चित रूप से वह खुद आग में झुलस जाएगा।
अमेरिका के लिए, चाहे देश में कोरोना महामारी का बार-बार प्रकोप हो, लगातार उच्च मुद्रास्फीति, या गहराते घरेलू नस्लीय संघर्ष और सामाजिक विभाजन, वे सभी वर्तमान अमेरिकी सरकार की राजनयिक रणनीति, खास कर खुद के लिए सबसे महत्वपूर्ण रही चीन के प्रति रणनीति के लिए चुनौती पेश करता है। हालांकि, ऐतिहासिक अनुभव और वर्तमान वास्तविकता दोनों दिखाते हैं कि यदि अमेरिका में चीन के समान सद्भावना है, चीनी नेता द्वारा प्रस्तुत तीन सिद्धांतों का पालन करता है, और व्यावहारिक रूप से चीन-अमेरिका संबंधों को बेहतर विकास के ट्रैक पर वापस धकेलता है, तो इससे न केवल चीन-अमेरिका संबंधों को लाभ होगा, बल्कि यह अमेरिका के सामने मौजूद मौजूदा समस्याओं को दूर करने में भी मददगार सिद्ध होगा।
वर्तमान में लोगों का ध्यान इस पर केंद्रित है कि अमेरिका कब अपने द्वारा दिए गए वचन का पालन करेगा!
सोर्स- आईएएनएस
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Created On :   15 Jun 2022 7:00 PM IST