टारगेट प्रैक्टिस के लिए बामियान बुद्ध ऐतिसाहिक धरोहर का इस्तेमाल कर रहा है तालिबान
- बौद्ध अवशेषों की रक्षा करने में फैल हुई तालिबान सरकार
डिजिटल डिस्क, नई दिल्ली। तालिबान ने वर्षो पहले बामियान बुद्ध की विशालकाय मूर्तियों को नष्ट कर दिया था। अब तालिबानी लड़ाके बामियान बुद्ध के अवशेषों का उपयोग टारगेट प्रैक्टिस (लक्ष्य साधने के लिए अभ्यास) के लिए कर रहे हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर कई वीडियो क्लिप सामने आए हैं, जहां तालिबान लड़ाकों को उन गुफाओं में बड़े हथगोले दागते हुए देखा गया था, जहां बुद्ध की विशाल प्रतिमाएं 1,400 से अधिक वर्षों से खड़ी थीं।
गांधार समाचार द्वारा साझा की गई एक वीडियो क्लिप में कम से कम सात तालिबान बंदूकधारियों को गुफाओं के पास गोलीबारी करते देखा गया है। उन्हें तालिबान के नारे लगाते हुए भी देखा गया। वीडियो क्लिप में एक ग्रेनेड उस जगह की दीवार के पास विस्फोट होते हुए देखा जा सकता है, जहां कभी एक विशाल बुद्ध की मूर्ति होती थी। जब गांधार समाचार ने तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार के सांस्कृतिक आयोग के उप प्रमुख अहमदुल्ला वासीक से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि जांच जारी है और अपराधियों को पकड़ा जाएगा और उन्हें न्याय के दायरे में लाया जाएगा।
न्यूज साइट के मुताबिक अपराधी तालिबान की उस कमांड यूनिट से हैं, जो वहां ऐतिहासिक स्थल की सुरक्षा के लिए तैनात है। बामियान में प्रांतीय गवर्नर मुल्ला शिरीन अखुंद ने साइट की रक्षा करने का वादा किया था। पिछले महीने तालिबान ने वादा किया था कि वे बौद्ध अवशेषों के रक्षक के तौर पर काम करेंगे और इससे पर्यटक भी बामियान की ओर आकर्षित होंगे।
इंडियानैरेटिव के अनुसार बामियान के सूचना और संस्कृति निदेशालय के प्रमुख मावलवी सैफ-उल-रहमान मोहम्मदी ने मीडिया को बताया था कि तालिबान सरकार प्रांत के इन अमूल्य और ऐतिहासिक स्मारकों को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। स्थानीय और विदेशी पर्यटक बामियान के ऐतिहासिक स्थलों और बुद्धों के दर्शन कर सकते हैं। लेकिन अधिकांश इतिहासकार, पुरातत्वविद और मानवविज्ञानी, जिन्होंने बामियान स्थलों के विनाश और तालिबान नेताओं की करतूतों को करीब से देखा है, वे तालिबान पर भरोसा नहीं कर रहे हैं और अफगानिस्तान की विरासत की रक्षा के उनके सभी वादे उनकी उदार छवि को चित्रित करने के लिए हैं।
जब मोहम्मदी से पूछा गया कि तालिबान ने 2001 में बामियान बुद्ध की मूर्तियों को क्यों नष्ट किया तो उन्होंने पिछले निर्णय को यह कहते हुए सही ठहराया कि उन्होंने 2001 में धार्मिक विचारधारा के आधार पर बुद्ध की ऐतिसाहिक मूर्तियों को नष्ट कर दिया था। उन्होंने कहा, इस्लामिक अमीरात ने उस समय (2001) जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं किया था। इसकी समीक्षा की गई और इस्लामी कानूनों के आधार पर शोध किया गया और फिर उन्होंने उन्हें नष्ट कर दिया।
बामियान में 2001 का विनाश अफगानिस्तान की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा हमला कहा जा सकता है। विडंबना यह है कि तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के आदेश को अंजाम देने वाले मुल्ला हसन अखुंद अब नई तालिबान सरकार के प्रधानमंत्री हैं। वही आदमी अब अफगानिस्तान की सभी प्राचीन धरोहरों की रक्षा करने का वादा कर रहा है। काबुल पर 15 अगस्त को कब्जा करने के बाद आतंकी समूह ने अपने लड़ाकों से बचे-खुचे अवशेषों को मजबूत रूप से संरक्षित करने इनकी निगरानी रखने अवैध खुदाई को रोकने और सभी ऐतिहासिक स्थलों की रक्षा करने के लिए कहा था। उनके बयान में कहा गया है किसी को भी ऐसी साइटों पर परेशानी खड़ी करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए या लाभ के लिए उनका उपयोग करने के बारे में नहीं सोचना चाहिए।
इस संबंध में तालिबान की ओर से दिए गए बयान तो ठीक हैं मगर यह तालिबान की कार्रवाई ही होगी, जो मायने रखेगी। अब तक, तालिबान दोहा में किए गए वादों का पालन नहीं कर रहा है जिसमें मुख्य रूप से मानवाधिकारों, महिलाओं के अधिकारों, शिक्षा और समावेशी सरकार का संरक्षण शामिल है।
(आईएएनएस)
Created On :   12 Nov 2021 3:30 PM IST