श्रीलंका: जीत के करीब गौतबाया राजपक्षे, PM मोदी ने ट्वीट कर दी बधाई
डिजिटल डेस्क, कोलंबो। राष्ट्रपति चुनाव की मतगणना पूरी होने से पहले सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवार साजिथ प्रेमदासा ने अपने प्रतिद्वंद्वी गौतबाया राजपक्षे के खिलाफ हार स्वीकर ली है। उन्होंने गौतबाया राजपक्षे को जीत के लिए बधाई दे दी है। प्रेमदासा कहा है कि मैं लोगों के निर्णय का सम्मान करता हूं और गोटाबैया राजपक्षे को श्रीलंका के सातवें राष्ट्रपति के रूप में उनके निर्वाचन पर बधाई देता हूं। जानकारी के मुताबिक अभी मतगणना पूरी नहीं हुई। अभी इसका अधिकारिक ऐलान होना बाकी है।
जीत से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दी जीत की बधाई
I also congratulate the people of Sri Lanka for the successful conduct of the elections.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 17, 2019
अब तक आए रुझानों में विपक्षी उम्मीदवार गोटाबाया राजपक्षे आगे चल रहे हैं। पांच लाख वोटों की गिनती में उन्हें 52.87 फीसदी वोट मिले हैं। जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी सजीथ प्रेमदासा 39.67 फीसदी वोटों के साथ दूसरे नंबर पर हैं। 16 नवंबर को राष्ट्रपति के चुनाव के लिए वोट डाले गए थे। श्रीलंका में राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के उत्तराधिकारी को चुनने के लिए मतदान कुल मिला कर शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया।
बता दें कि श्रीलंका में शनिवार को आठवें राष्ट्रपति चुनाव के लिए 80 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। देश अभी भी लगभग तीन दशक लंबे गृहयुद्ध और सात महीने पहले ईस्टर के दिन यहां हुए आतंकी हमले के घावों से उबर रहा है। संडे टाइम्स के अनुसार, मतदान होने के बाद मतपेटियों को मतगणना केंद्रों तक पहुंचाया गया। कुल 12,845 मतदान केंद्रों में सुबह सात बजे से मतदान शुरू हुआ।
सत्तारूढ़ न्यू डेमोक्रेटिक फ्रंट (एनडीएफ) गठबंधन के साजित प्रेमदासा (52) और श्रीलंका पोडुजना पेरमुना (एसएलपीपी) के गोटाभाया राजपक्षे (70) के बीच मुख्य मुकाबला है। इसके अलावा 35 उम्मीदवार भी अपना भाग्य इस मतदान में अजमा रहे हैं। 1982 के बाद ऐसा पहली बार है, जब राष्ट्रपति चुनाव में सबसे अधिक दावेदार मैदान में हैं। 2015 में केवल 18 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था।
गोटाभाया राजपक्षे एक सेवानिवृत्त सैनिक हैं, जिन्होंने उस दौरान श्रीलंका के रक्षा विभाग की कमान संभाली थी, जब उनके बड़े भाई महिंदा राजपक्षे राष्ट्रपति (2005-2015) थे। इसके अलावा जब श्रीलंका ने 2009 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के साथ अपना युद्ध समाप्त किया तब भी वह रक्षा विभाग के प्रमुख रहे। हांलाकि, महिंदा राजपक्षे की वर्ष 2015 की हार के बाद इस परिवार का राजनीतिक भविष्य लुप्त होता दिखाई दे रहा था, लेकिन इस साल 21 अप्रैल को ईस्टर के रोज हुए हमलों के बाद से गोटाभाया की स्थति काफी मजबूत हुई है। इन हमलों में 269 लोग मारे गए थे।
Created On :   17 Nov 2019 9:30 AM IST