फैसला: सऊदी अरब भारत समेत कई देशों में रोकेगा मस्जिदों की फंडिंग, सुरक्षा कारणों का दिया हवाला
- सऊदी अरब की भारत समेत कई देशों में मस्जिदों को फंडिंग रोकने की योजना
- एक स्विस अखबार ले माटिन डिमांच ने एक रिपोर्ट के हवाले से ये बात कही
डिजिटल डेस्क, रियाद। सऊदी अरब भारत समेत कई देशों में मस्जिदों को फंडिंग रोकने की योजना बना रहा है। एक स्विस अखबार ले माटिन डिमांच ने एक रिपोर्ट के हवाले से ये बात कही है। सऊदी अरब के पूर्व न्याय मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुल-करीम इस्सा के हवाले से अखबार ने कहा कि "सुरक्षा कारणों" के चलते ये कदम उठाया जा रहा है। मंत्री ने कहा, "जिनेवा मस्जिद को एक स्विस प्रशासनिक परिषद को सौंपने का समय आ गया है जो क्षेत्र में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें एक निर्वाचित मौलवी होना चाहिए।"
दुनिया भर में उठाए जाएंगे कदम
इस्सा ने कहा, इसी तरह के कदम दुनिया भर में उठाए जाएंगे। हर देश में नेशनल अथॉरिटीज के साथ समन्वय कर लोकल बोर्ड ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन सेट अप होगा। यह सुरक्षा कारणों के लिए बेहद जरूरी है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मस्जिदें सुरक्षित हाथों में हों। इसके बाद हम हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
सालाना 2 बिलियन डॉलर के करीब खर्च
स्विस अखबार में छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि "यह कदम अगर आधिकारिक नीति बन जाता है, तो सऊदी अरब की फॉरेन पॉलिसी से बहुत बड़ा ब्रेक होगा। 1960 के दशक से, सऊदी अरब ने वहाबी इस्लाम को दुनिया में फैलाने के लिए मल्टी-मिलियन डॉलर के एफर्ट लगाए। 2007 तक, सऊदी अरब ने इस विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए सालाना 2 बिलियन डॉलर के करीब खर्च किया। इसे सऊदी अरब की "सॉफ्ट पॉवर" का हिस्सा भी माना जाता है, जिसमें भारत सहित कई देशों में मस्जिदों को फंड किया गया।
राजनीति और धर्म को अलग करने की कोशिश
स्विस अखबार ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के हवाले से कहा कि देश में राजनीति और धर्म को अलग-अलग करके आधुनिक बनाने की कोशिश की जा रही है। इस कोशिश में ऐसे कई कदम पहले भी उठाए जा चुके हैं। सऊदी अरब में महिलाओं को ड्राइविंग करने की इजाजत के साथ-साथ सिनेमा घरों को खोलने जैसे कदम उठाए गए हैं।
Created On :   29 Jan 2020 6:14 PM GMT