रूस और पश्चिम के बीच बढ़ते तनाव ने परमाणु हथियारों को चर्चा के केंद्र में लाया
- तीसरा विश्व युद्ध केवल परमाणु युद्ध हो सकता है!
डिजिटल डेस्क, कीव। यूक्रेन में बड़े पैमाने पर चल रहे रूसी सैन्य अभियान के कारण अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते तनाव ने परमाणु हथियारों को इसके उपयोग और इससे होने वाली त्रासदी पर विचार-विमर्श और बहस के केंद्र में ला दिया है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इससे पहले गुरुवार को पश्चिमी नेताओं पर परमाणु युद्ध को फिक्स करने का आरोप लगाया था। उन्होंने अमेरिका की तुलना फ्रांस के सम्राट नेपोलियन बोनापार्ट और जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर से भी की।
लावरोव ने मास्को में कहा, यह स्पष्ट है कि तीसरा विश्व युद्ध केवल परमाणु युद्ध हो सकता है। मैं यह बताना चाहूंगा कि पश्चिमी राजनेताओं के दिमाग में परमाणु युद्ध का विचार लगातार घूम रहा है, न कि रूसियों के दिमाग में। इसलिए मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हम किसी भी उकसावे को संतुलन से बाहर नहीं जाने देंगे। विश्व के नेताओं ने परमाणु हथियारों के उपयोग के बारे में बात शुरू कर दी है, लेकिन अगर इसका इस्तेमाल किया जाता है, तो दुनिया ऐसी त्रासदी का गवाह बनेगी, जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।
रूस और अमेरिका के पास कुल मिलाकर वैश्विक परमाणु हथियारों का 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है। दोनों के पास अपने परमाणु हथियार, मिसाइल और विमान वितरण प्रणाली और उत्पादन सुविधाओं को बदलने और आधुनिक बनाने के लिए व्यापक और महंगे प्रोजेक्ट चल रहे हैं। दोनों देशों ने इनमें से लगभग 2000 को हाई ऑपरेशनल अलर्ट की स्थिति में रखा है।
एक स्वीडिश थिंक टैंक के अनुसार, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) की रिपोर्ट पिछले साल जारी की गई थी, जिसमें कहा गया है कि नौ परमाणु हथियार संपन्न देश - संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, युनाइटेड किंगडम, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इजराइल और डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (उत्तर कोरिया) के पास 2021 की शुरुआत में अनुमानित 13,080 परमाणु हथियार थे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सैन्य बलों के साथ तैनात परमाणु हथियारों की अनुमानित संख्या 2021 में बढ़कर 3,825 हो गई, जो 2020 में 3720 थी। जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस ने 2020 में सेवानिवृत्त वॉरहेड को नष्ट करके अपने समग्र परमाणु हथियार सूची को कम करना जारी रखा। दोनों का अनुमान है कि एक साल पहले की तुलना में 2021 की शुरुआत में लगभग 50 से अधिक परमाणु हथियार परिचालन तैनाती की स्थिति में थे।
रूस ने अपने समग्र सैन्य परमाणु भंडार में लगभग 180 हथियार बढ़ा दिए, जिसका मुख्य कारण भूमि आधारित अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (आईसीबीएम) और समुद्र से प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइलों (एसएलबीएम) की अधिक तैनाती है। एसआईपीआरआई के परमाणु निरस्त्रीकरण, शस्त्र नियंत्रण और अप्रसार कार्यक्रम के एसोसिएट सीनियर फेलो हैंस एम. क्रिस्टेंसन ने कहा, वैश्विक सैन्य भंडार में परमाणु हथियारों की संख्या अब बढ़ रही है। यह एक चिंताजनक संकेत है।
क्रिस्टेंसन ने कहा था, इस साल फरवरी में रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा न्यू स्टार्ट का अंतिम समय में विस्तार एक राहत की बात थी, लेकिन परमाणु महाशक्तियों के बीच अतिरिक्त द्विपक्षीय परमाणु हथियारों के नियंत्रण की संभावनाएं कम हैं। क्रिस्टेंसन ने कहा, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका, दोनों अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीतियों में परमाणु हथियारों के महत्व को बढ़ा रहे हैं। रूस और अमेरिका के अलावा, अन्य सभी सात परमाणु-सशस्त्र राज्य भी या तो नई हथियार प्रणाली विकसित कर रहे हैं या तैनात कर रहे हैं या ऐसा करने के अपने इरादे की घोषणा कर चुके हैं।
ब्रिटेन की सुरक्षा, रक्षा, विकास और विदेश नीति की एकीकृत समीक्षा जो 2021 की शुरुआत में प्रकाशित हुई, उसमें देश के परमाणु शस्त्रागार को कम करने की नीति को उलट दिया गया और परमाणु हथियारों के लिए इसकी नियोजित सीमा को 180 से बढ़ाकर 260 कर दिया गया। चीन एक महत्वपूर्ण आधुनिकीकरण और अपनी परमाणु हथियारों की सूची के विस्तार के बीच में है और भारत व पाकिस्तान भी अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, उत्तर कोरिया अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के केंद्रीय तत्व के रूप में अपने सैन्य परमाणु कार्यक्रम को बढ़ाना जारी रखे हुए है। हालांकि इसने 2020 के दौरान कोई परमाणु परीक्षण विस्फोट या लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण नहीं किया, लेकिन इसने विखंडनीय सामग्री का उत्पादन और छोटी व लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों का विकास जारी रखा।
(आईएएनएस)
Created On :   3 March 2022 8:00 PM IST