नेपाल के पीएम की कुर्सी संभालते ही प्रचंड ने दिखाया अपना असली रंग, भारत के खिलाफ की ये बड़ी घोषणा 

Prachanda showed his true colors as soon as he took over as PM of Nepal, made this big announcement against India
नेपाल के पीएम की कुर्सी संभालते ही प्रचंड ने दिखाया अपना असली रंग, भारत के खिलाफ की ये बड़ी घोषणा 
भारत-नेपाल सीमा विवाद नेपाल के पीएम की कुर्सी संभालते ही प्रचंड ने दिखाया अपना असली रंग, भारत के खिलाफ की ये बड़ी घोषणा 
हाईलाइट
  • भारत जैसा राष्ट्रवाद नेपाल में देखने को नहीं मिलता है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के पड़ोसी देश नेपाल में नई सरकार का गठन हो गया है। पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड देश के नए पीएम बने हैं। पीएम का पद संभालते ही प्रचंड ने भारत के खिलाफ एक बड़ा ऐलान कर दिया है। दरअसल, उन्होंने देश में भारत के विरोध पर टिके राष्ट्रवाद को हवा देने की शुरूआत करते हुए उत्तराखंड राज्य के विवादित लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख क्षेत्रों को वापस नेपाल में मिलाने का वादा देश की जनता से किया है। बता दें कि नेपाल लंबे समय से इन इलाकों पर अपना दावा पेश करता है। 

अपने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत जारी एक डॉक्यूमेंट में भी नेपाल सरकार ने इस बात की घोषणा की है। इसमें कहा गया है कि भारत ने हमारे कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा इलाकों पर अतिक्रमण किया है। हमारी सरकार इन इलाकों को वापस लेने की दोबारा कोशिश करेगी। हालांकि इस डॉक्यूमेंट में यह भी कहा गया है कि हमारी सरकार सबसे दोस्ती और किसी से दुश्मनी नहीं के मूलमंत्र पर काम करते हुए अपने दोनों पड़ोसी मुल्क चीन और भारत से संतुलित राजनयिक संबंध रखना चाहती है। 

चीन के करीबी माने जाते हैं प्रचंड

इस प्रोग्राम के मद्देनजर प्रचंड सरकार का उद्देश्य देश की अखंडता, संप्रभुता और स्वतंत्रता को मजबूत करना है। लेकिन इस प्रोग्राम में हैरान करने वाली बात यह है कि इसमें भारत के साथ सीमा विवाद का जिक्र तो है पर चीन का नहीं है। हालांकि चीन का जिक्र न होने की वजह पीएम प्रचंड के चीन के साथ अच्छे संबंध होना है। वह इस बात का प्रमाण उस दौरान भी दे चुके हैं जब वह इससे पहले दो बार पीएम चुने गए थे। दरअसल 2008 और 2016 में नेपाल का पीएम बनने के बाद उन्होंने एक बड़ा रिवाज तोड़ते हुए भारत की जगह चीन की यात्रा की थी। बता दें कि नेपाल का एक रिवाज रहा है जिसके मुताबिक वहां जो कोई भी पीएम बनता है वह सबसे पहले भारत की यात्रा करता है। लेकिन जब प्रचंड पीएम चुने गए तो उन्होंने वर्षों पुराने इस रिवाज को तोड़ते हुए भारत की जगह चीन की यात्रा की। 

राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत जैसा राष्ट्रवाद नेपाल में देखने को नहीं मिलता है। भारत में आजादी के बाद से ही चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद शुरू हो गया था, जिस पर देश की जनता भड़कती थी और देश में राष्ट्रवाद की लहर चलती थी। लेकिन, नेपाल में इसका अभाव रहा है। इसी वजह से नेपाल की नई सरकार भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद को राष्ट्रवाद के नाम पर भुनाकर अपनी राजनीति चमकाना चाहती हैं।  

बता दें कि भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद उस समय बढ़ा जब साल 2019 में भारत सरकार ने अपना राजनीतिक नक्शा जारी किया था। इस नक्शे में भारत ने उत्तराखंड राज्य में स्थित अपने तीन स्थानों लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को अपना हिस्सा बताया था। जिस पर नेपाल ने विरोध जताया था और अपना नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था जिसमें इन तीनों क्षेत्रों को उसने अपनी सीमा के अंदर बताया था। 

Created On :   11 Jan 2023 9:21 AM GMT

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