पाकिस्तान की अकड़ पड़ी ढीली, पोलियो उन्मूलन के लिए भारत से मार्कर खरीदने पर हुआ मजबूर

Pakistans airs loose, forced to buy markers from India to eradicate polio
पाकिस्तान की अकड़ पड़ी ढीली, पोलियो उन्मूलन के लिए भारत से मार्कर खरीदने पर हुआ मजबूर
पाकिस्तान की अकड़ पड़ी ढीली, पोलियो उन्मूलन के लिए भारत से मार्कर खरीदने पर हुआ मजबूर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पोलियो उन्मूलन की कोशिशों में जुटी पाकिस्तान की इमरान सरकार को भारत से सहायता मांगने पर मजबूर होना पड़ा है। मंगलवार को प्रधानमंत्री इमरान की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि वह भारत से पोलियो मार्कर की खरीदारी करेगा। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने भारत से सभी कारोबारी रिश्ते तोड़ने का फैसला किया था, लेकिन अब खुद पाकिस्तान की इस फैसले पर अकड़ ढीली पड़ गई है। 

पाकिस्तान को मजबूरी में ऐसा कदम इसलिए उठाना पड़ रहा है, क्योंकि उसे दूसरे देशों की अपेक्षा भारत से सस्ते में पोलियो मार्कर और दवाएं मिल जाती हैं। इमरान खान की कैबिनेट ने भारत से पोलियो मार्कर के आयात के लिए वहां की कंपनियों और स्वास्थ्य विभाग को सिर्फ एक बार अनुमति देने का निर्णय लिया है, क्योंकि इससे कम से कम 89 दवाओं की कीमतों में 15 फीसदी कीमत की कमी आएगी। बता दें कि पाकिस्तान ने चीन से पहले पोलियो मार्कर खरीदा था लेकिन उसकी घटिया क्वॉलिटी को देखते हुए उसे भारत की मदद लेनी पड़ रही है।

बता दें कि पोलियो की दवा पिलाने के बाद से बच्चों के उंगलियों पर मार्कर से निशान लगाया जाता है। ये मार्कर विशेष होते हैं जिससे बच्चों के उंगलियों पर इसका बुरा असर नहीं होता है।

इस फैसले के बाद पाकिस्तान में आपातकालीन संचालन केंद्र के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ राणा सफदर ने कहा कि “2018 की मूल्य निर्धारण नीति के अनुसार 89 दवाओं की कीमतों में कमी की गई है, क्योंकि बाजार में लॉन्च होने के तीन साल बाद इनोवेटर दवाओं की कीमतों में 10pc की कमी की जानी होती है। सभी पहलुओं पर विचार करने के पोलियो के लिए हमने 15pc की कीमतों में कमी करने का फैसला किया।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित मानक संचालन प्रक्रियाओं के अनुसार बच्चों को पोलियो वैक्सीन देने के बाद मार्कर का उपयोग किया जाता है। "भारत और चीन में केवल दो डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुसार इसके निर्माता हैं, जो गैर विषैले मार्करों का निर्माण करते हैं, क्योंकि बच्चे स्याही को निगल सकते हैं। डॉ राणा सफदर ने कहा डब्ल्यूएचओ हमारे लिए मार्करों की खरीदी करता है और पहले संगठन की तरफ से चीन से मार्करों को खरीदा गया था, मार्करों की गुणवत्ता के साथ समस्या थी। हमने एक शिकायत दर्ज की थी कि पोस्ट-मॉनिटरिंग टीम की यात्रा से पहले निशान फीके पड़ जाते हैं। ऐसे में चीन के मार्कर की घटिया क्वॉलिटी को देखते हुए पाकिस्तान के पास भारत को छोड़कर किसी अन्य देश से खरीदने का विकल्प नहीं बचा है।

उन्होंने कहा डब्ल्यूएचओ ने भारत से खरीद शुरू की थी और प्रतिबंध की घोषणा से पहले, इसने निर्माता को 800,000 मार्करों के लिए आदेश दिया था, लेकिन प्रतिबंध के कारण स्टॉक वितरित नहीं किया जा सका। लेकिन अब प्रतिबंध हटाने के फैसले के कारण हमें मार्कर मिल जाएंगे। इस बीच, चीनी निर्माता से हमें गुणवत्तापूर्ण मार्कर प्रदान करने के लिए भी संपर्क किया गया है।

Created On :   25 Dec 2019 5:23 PM IST

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