FATF की ग्रे लिस्ट में बना रहेगा पाकिस्तान, टेरर फाइनेंसिंग के खिलाफ उठाए कदमों से संतुष्ट नहीं ग्लोबल एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग वॉचडॉग
- 21 जून से शुरू हुई एफएटीएफ की वर्चुअल मीटिंग के बाद लिया फैसला
- FATF ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखने का फैसला लिया
डिजिटल डेस्क, पेरिस। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बनाए रखने का फैसला लिया है। यह फैसला 21 जून से 25 जून तक हुई एफएटीएफ की वर्चुअल मीटिंग के बाद आया है। एफएटीएफ ने इस मीटिंग में 23 जून को एक सेशन आयोजित किया था जिसमें यह तय किया गया कि वह पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखेगा या नहीं। इस मीटिंग में पाकिस्तान द्वारा टेरर फाइनेंसिंग के खिलाफ उठाए गए कदमों की समीक्षा की गई। ग्लोबल एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग वॉचडॉग को पाकिस्तान ये समझाने में नाकाम रहा कि उसने अपनी धरती पर टेरर फाइनेंसिंग पूरी तरह से बंद कर दी है।
एफएटीएफ के प्रेसिडेंट डॉ. मार्कस प्लेयर ने कहा, इस्लामाबाद ने FATF के एक्शन प्लान के 27 में केवल 26 पॉइंट को ही पूरा किया है। लेकिन एक प्रमुख आइटम है जिसे पूरा किए जाने की जुरुरत है। ये सीनियर कमांडरों और संयुक्त राष्ट्र के नामित आतंकवादी समूहों के नेताओं की जांच और अभियोजन से संबंधित है।
Pakistan remains in Financial Action Task Force (FATF) grey list: Pakistan media
— ANI (@ANI) June 25, 2021
बैठक में शामिल पांच देशों में से चार पाकिस्तान के आतंकवाद को लेकर किए गए काम से असंतुष्ट हैं। इस समूह में चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और भारत शामिल हैं। पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला था। अक्टूबर 2018 और फरवरी 2019 में हुए रिव्यू में भी पाक को राहत नहीं मिली थी। पाक एफएटीएफ की सिफारिशों पर काम करने में विफल रहा है। इससे पहले फरवरी में, FATF ने कहा था कि पाकिस्तान जून तक ग्रे लिस्ट में रहेगा।
यह फैसला 22 फरवरी से शुरू हुई एफएटीएफ की तीन दिवसीय वर्चुअल मीटिंग के बाद आया था। इस मीटिंग में पाकिस्तान द्वारा टेरर फाइनेंसिंग के खिलाफ उठाए गए कदमों की समीक्षा की गई थी। एक लाइव वीडियो लिंक के माध्यम से बोलते हुए, एफएटीएफ के प्रेसिडेंट डॉ. मार्कस प्लेयर ने कहा था कि पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी प्रयासों में कुछ गंभीर कमियां हैं जिन्हें देखने की जुरुरत है। उन्होंने कहा, एक्शन प्लान की 27 शर्तों में से, तीन को अभी भी देखने की आवश्यकता है।
बता दें कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स एक ग्लोबल एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग वॉचडॉग है, जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा 1989 में स्थापित किया गया था। इसका काम इंटरनेशनल लेवल पर मनी लॉन्ड्रिंग, सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और टेरर फाइनेंसिंग पर निगाह रखना है। एफएटीएफ के निर्णय लेने वाले निकाय को एफएटीएफ प्लेनरी कहा जाता है। इसकी बैठक एक साल में तीन बार आयोजित की जाती है। अगर एफएटीएफ किसी देश को ब्लेक लिस्ट कर देता है तो उसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों जैसे आईएमएफ और विश्व बैंक से लोन नहीं मिल सकता। इसके अलावा अन्य देशों के साथ फाइनेंशियल डील करने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
Created On :   25 Jun 2021 5:51 PM IST