केन्या: दुनिया में बचा है सिर्फ एक सफेद जिराफ, जानिए क्या है कारण?
- शिकारियों ने पूर्वोत्तर केन्या में दो बेहद दुर्लभ सफेद जिराफों को मार दिया
- जिराफ़ का सफेद कलर ल्यूसीज़्म के कारण होता है
- मारे जाने वाले दो जिराफों में मां और सात महीने का बेबी जिराफ था
डिजिटल डेस्क, नैरोबी। शिकारियों ने पूर्वोत्तर केन्या में दो बेहद दुर्लभ सफेद जिराफों को मार दिया। मारे जाने वाले दो जिराफों में मां और सात महीने का बेबी जिराफ था। ऐसे में दुनिया में अब इस तरह का सिर्फ एक ही जिराफ बचा है, जो मेल है। जिराफ़ का सफेद कलर ल्यूसीज़्म के कारण होता है। यह एक आनुवंशिक स्थिति होती है जिसके कारण त्वचा की कोशिकाओं में पिगमेंटेशन नहीं होता है।
जिराफ की आबादी में 40% की गिरावट
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) ने दिसंबर 2016 में जिराफ को रेड लिस्ट में वर्गीकृत किया था। IUCN ने जब यह नोट किया कि 1985 के बाद से जिराफ की आबादी में 40 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है तो उसके बाद उन्होंने यह कदम उठाया था। साल 1985 में जिराफ की जनसंख्या 155,000 थी, जो 2015 में घटकर 97,000 रह गई है। IUCN के अनुसार पूर्वी अफ्रीका में जिराफ की प्रजातियों का बड़ा नुकसान हुआ है। यहां 1985 के बाद से लगभग 86,000 जिराफ मर चुके हैं।
तीन महीने पहले देखा गया था अखिरी बार
‘इशाकबीनी हिरोला सामुदायिक संरक्षण’ के मैनेजर- मोहम्मद अहमदनूर ने कहा, "मारे गए दोनों जिराफ को करीब तीन महीने पहले आखिरी बार देखा गया था। यह पूरे केन्या के लिए बेहद दुखद दिन है। क्योंकि पूरी दुनिया में हमारे यहां ही सफेद जिराफ हैं।" रिपोर्ट के मुताबिक, रेंजर्स को उत्तर-पूर्वी केन्या में गरिसा काउंटी के एक गांव में मादा और उसके बच्चे का शव मिला। बता दें कि केन्या की वाइल्डलाइफ सेंचुरी में साल 2016 में इन जिराफों को देखा गया था।
ल्यूसीज़्म क्या है?
ल्यूसीज़्म कोशिकाओं में पिगमेंटेशन को रोकता है। यह ऐल्बिनिज़म से अलग है जहां बिल्कुल भी मेलेनिन उत्पन्न नहीं होता है। ल्यूसीज़्म वाले जानवरों में उनके सॉफ्ट टिशू में डार्कर पिगमेंट हो सकता है। जैसे की ल्यूसीज़्म वाले जिराफ की आंखों डार्क है, जबकि ऐल्बिनिज़्म वाले जानवरों की आंखें गुलाबी होती हैं। पक्षी, शेर, मछली, मोर, पेंगुइन, चील, हिप्पो, मूस और सांप सभी में ल्यूसीज़्म देखा जा चुका है।
Created On :   11 March 2020 6:19 PM GMT