इन 5 कारणों से लुट गई श्रीलंका, जानिए कैसे कंगाल होता गया 'सोने की लंका' कहलाने वाला देश
डिजिटल डेस्क, कोलंबो। भारत का पड़ोसी मुल्क इन दिनों आर्थिक बदहाली से जूझ रहा है। इन दिनों वहां की जनता भीषण महंगाई का सामना कर रही है। हालात इतने बुरे हो गए कि जनता मजबूर होकर सड़क पर उतर आई है। श्रीलंका सरकार के खिलाफ जबरदस्त हंगामा हो रहा है, कई लोगों के हिंसक प्रदर्शन में घायल होने की खबर है।
खबरों के मुताबिक, श्रीलंकाई जनता ने राष्ट्रपति भवन पर भी कब्जा जमा लिया है। उग्र प्रदर्शन के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे अपना आवास छोड़कर भाग गए हैं। श्रीलंका विगत कई दिनों से आर्थिक कंगाली व महंगाई से जूझ रहा है, यहां की जनता ने अब सरकार के खिलाफ बगावत का रूख अख्तियार कर लिया है। आइए जानते है कि लंका की कंगाली के पीछे की असली वजह क्या है?
श्रीलंका की जनता का खेती से मोहभंग
गौरतलब है कि श्रीलंका में संकट के बादलों की मेन वजह सरकार का वो निर्णय माना जाता है कि जिसमें सरकार को देश को आर्गेनिक खेती का हब बनाने के लिए केमिकल फर्टिलाइजर्स को एक झटके में पूरी तरह से बैन कर दिया। श्रीलंकार सरकार ने इस तरह बदलाव कर देश के एग्री सेक्टर को तबाह कर दिया। लोगों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से एग्री कल्चर प्रोडक्शन आधा रह गया है।
अभी हाल यह है कि देश में चावल और चीनी की काफी किल्लत है। देश में अनाज की जमाखोरी ने इस संकट को और विकराल बना दिया है। वहीं खेती करने वाली एक बड़ी आबादी दूरी बना ली है। इन्हीं कारणों की वजह से श्रीलंका में आर्थिक संकट ने विकराल रूप धारण कर लिया है। श्रीलंका सरकार को अब जनता का विरोध भी झेलना पड़ रहा है।
विदेशी कर्ज में लगातार बढ़ोत्तरी
श्रीलंका में आर्थिक बदहाली का मुख्य कारण विदेशी कर्ज मे बढोत्तरी को बताया जा रहा है। जिसकी वजह से महंगाई की भयंकर मार श्रीलंका की जनता सह रही है। गौतरलब है कि श्रीलंका को ब्रिटेन से आजादी 1948 में मिली थी आजादी के 74 साल बाद श्रीलंका में सबसे बड़ा वित्तीय आपात माना जा रहा है।
श्रीलंका में आर्थिक संकट के कारणों की बात करें तो सबसे पहला कारण चीन जैसे देशों का बाहरी कर्ज माना जा रहा है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आलोचकों का मानना है कि गैर जरूरी इंफ्रास्ट्रक्टर के चलते कर्ज काफी बढ़ गया है। बताया जा रहा है कि श्रीलंका पर अभी करीब 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है।
विदेशी मुद्रा भंडार की कमी
श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार लगातार खाली होता जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार 16.1 प्रतिशत से घटकर 1.93 अरब डॉलर रह गया। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट बताती है कि इस साल श्रीलंका के ऋण भुगतान में अनुमानित $8.6 बिलियन की गिरावट आई है। श्रीलंका इन्हीं वजहों से आए दिन कर्ज में डूबता जा रहा है और महंगाई पर रोक लगा पाने में नाकाम है।
आर्थिक कुप्रबंधन का प्रभाव
श्रीलंका में आर्थिक संकट की मुख्य वजह महामारी और चीन के कर्ज के अलावा आतंरिक मामले भी जिम्मेदार हैं। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपित राजपक्षे ने टैक्स को लेकर काफी ऐलान किया था, उन्होंने टैक्स में भारी कमी कर दी थी, जिसकी वजह से सरकार के पास मुद्रा की भारी कमी हो गई। कई जानकार सरकार के इस फैसले को गलत मानते है और श्रीलंका की हालात को लेकर जिम्मेदार भी ठहराते हैं।
आयात पर रोक
श्रीलंकाई सरकार ने देश में आयात पर भी पाबंदी लगा दी थी। इसमें रासायनिक खाद्य सामग्री भी शामिल है। जिससे फसलों पर काफी असर पड़ रहा है। इन सभी वजह से खाने पीने की चीजों पर भी काफी प्रभाव हुआ। खाद्य सामग्री को महंगे दामों में बाहर से मंगवाना पड़ रहा है। इससे काफी महंगाई बढ़ गई है और जनता परेशान है। यहां तक की जनता की सहनशक्ति खत्म हो चुकी है और अब सड़कों पर बगावत पर उतर आई है।
कई महीनों से आवश्यक सामग्री की किल्लत
श्रीलंका में विगत कई महीनों से जरूरी चीजों की भारी किल्लत चल रही है। इसके पहले भी भीषण विद्रोह श्रीलंकाई जनता की तरफ से किया गया था, तब श्रीलंका के प्रधानमंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। यहां तक जनता ने आक्रोश में आकर पूर्व पीएम का आवास भी आग के हवाले कर दिया था। श्रीलंका की स्थिति बिगड़ती ही जा रही है। लोगों के खाद्य सामग्री से लेकर ईंधन तक को लेने के लिए लंबी लाइन लगाना पड़ रहा है।
पेट्रोल-डीजल के लिए तो लाइन लगाकर वहां की जनता परेशान हो चुकी। पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। हर नागरिक के पहुंच से भी पेट्रोल-डीजल दूर हो गया है। लोग भुखमरी की कगार पर पहुंच गए है। श्रीलंका की स्थिति इतनी बिगड़ गई कि देश में आर्थिक आपातकाल लगाना पड़ा। शांति व्यवस्था कायम करने के लिए आर्मी को जनता के बीच जरूरी सामान बांटने के लिए लगाया गया है। श्रीलंका पूरी तरह से दिवालिया होने की कगार पर आ खड़ा हुआ है।
Created On :   9 July 2022 5:49 PM IST