रूस- यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनियाभर के कई देशों में महंगाई बनीं मुसीबत, इतने लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने को मजबूर हुए
डिजिटल डेस्क, कीव। यूक्रेन में युद्ध जारी हुए चार माह से अधिक का समय हो गया, लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध खत्म करने की सहमति नहीं बन पा रही है। इस युद्ध का असर न केवल रूस और यूक्रेन पर बल्कि पूरे विश्व पर पड़ा है। चाहे तेल की कीमतों में वृद्धि हो या फिर ईंधन और मुख्य खाद्य पदार्थों जैसे गेहूं, चीनी की कीमतों में उछाल हो। इस युद्ध से सबसे ज्यादा परेशानी लोगों को हुई है और इस कारण बहुत सारे लोगों ने दूसरे देशों में पलायन किया है।
कई देशों में अनाज की कमी से भुखमरी के हालात बन गए है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के द्वारा एक रिपोर्ट जारी किया गया है जिसमें बताया गया है कि यूक्रेन युद्ध की वजह से 7.1 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गए है। इस आंकड़ें ने लोगों को हैरान कर दिया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर आगे ऐसे ही दोनों देशों के बीच युद्ध चलता रहा है तो दुनियाभर के कई देशों की स्थित काफी खतरनाक हो सकती है।
यूएनडीपी की रिपोर्ट में दावा
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम यानि (यूएनडीपी) ने गुरूवार को एक रिपोर्ट में कहा कि रूसी सैनिकों के यूक्रेन पर हमले के बाद खाद्य पदार्थों और ऊर्जा की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है। इस युद्ध ने दुनियाभर के 7.1 करोड़ लोगों को प्रभावित किया है। जो गरीबी रेखा के नीचे वाली लाइन पर आकर खड़े हैं।
यूएनडीपी के मुताबिक युद्ध शुरू होने के महज 3 महीनों में 5.16 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गए यानि मात्र 1.90 डॉलर या इससे भी कम में वे अपना जीवन यापन कर रहे हैं। वहीं इसके अलावा करीब 2 करोड़ लोग रोजाना 3.20 डॉलर से कम में अपना जीवन यापन कर रहे है। बताया जा रहा है कि रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण जिस गति से लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है। वह कोरोना महामारी के चरम के दौर की आर्थिक पीड़ा से भी अधिक गंभीर है।
ये रही कीमतें बढ़ने की वजह
यूक्रेन व रूस के बीच जारी जंग की वजह से आयात- निर्यात न होने के कारण दुनियाभर के कई देशों में खाद्यान की समस्या बढ़ती जा रही है। ईंधन और मुख्य खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने की बात करें तो इसका प्रमुख कारण युद्ध की वजह से यूक्रेन के बंदरगाहों का परिचालन ठप हो गया। जिसका परिणाम ये हुआ कि कम आय वाले देशों को अनाज निर्यात नहीं किया जा सका, जिसने लाखों लोगों को गरीबी रेखा के नीचे ढ़केल दिया है।
Created On :   7 July 2022 7:57 PM IST