गरीबी के चलते कुछ दिन की बच्चियों का सौदा, बाल विवाह और दासी प्रथा का बढ़ा चलन
- अफगानिस्तान में गरीबी बढ़ी
- यहां के परिवार अब नाउम्मीदी का जीवन जी रहे हैं
- लड़कियों की शिक्षा पर रोक
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे वाली सरकार के आते ही लड़कियों और महिलाओं का भविष्य अंधकारमय हो गया है। एक ओर अनाज की कमी के चलते भुखमरी दूसरी ओर पैसे की तंगी, हालात इतने बुरे हो गये हैं कि कुछ दिन की बच्चियों को भी शादी के लिए परोसा जा रहा है। यूनिसेफ की संयुक्त राष्ट्र बाल कोष का कहना है कि हमारे पास ऐसी विश्वसीय रिपोर्ट है कि जिनसे मालूम चलता है कि दहेज में पैसा लेने के एवज में 20 दिन की बच्चियों को भविष्य में शादी कराने के लिए ऑफर दिया जा रहा है।
एजेंसी का कहना है कि अफगानिस्तान में 28 प्रतिशत बच्चियों की शादी 15 साल से पूर्व 49 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 साल से पूर्व कर दी जाती है। अफगानिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता के पूर्व भी वर्ष 2018 और 2019 में अकेले बगदीस, हैरात जिलो में 183 से अधिक बाल विवाह हुए। इसके अलावा यहां 6 महीने से लेकर 17 साल के बच्चों को बेचे जाने के भी कई मामले आए हैं। यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोरे ने इन रिपोर्ट्स को बहुत चिंताजनक बताया है।
अफगानिस्तान में गरीबी बढ़ी
हेनरीटा फोरे का कहना है कि आर्थिक तंगी के चलते यहां के परिवार दहेज के बदले में 20 दिन तक की बेटियों को भविष्य में शादी कराने का ऑफर कर रहे हैं। उनका कहना है कि यहां के परिवार अब नाउम्मीदी का जीवन जी रहे हैं। कोरोना महामारी के चलते देश मानवीय संकट से जूझ रहा है। सर्दियों का मौसम भी शुरू हो चुका है। वर्ष 2020 में यहां की आधी जनसंख्या पहले ही गरीबी से जूझ रही थी इनके पास न तो साफ पानी और न ही पौष्टिक भोजन की व्यवस्था थी। लेकिन अब आर्थिक तंगी के चलते यह गरीबी और गहरा गई है जिसके चलते लोग दूसरे रास्ते अपनाकर बच्चों से काम करवाना, छोटी लड़कियों की शादी कराना आदि मजबूरी में कर रहे हैं।
लड़कियों की शिक्षा पर रोक
यहां तालिबान शासन आते ही लड़कियों को शिक्षा से वंचित कर दिया गया है जिसके कारण यहां की स्थित और ज्यादा खतरनाक हो गई है। हेनरीटा फोरे का कहना है कि शिक्षा ने हमेंशा बाल विवाह और बाल श्रम जैसे नकारात्मक तंत्र को रोका है। उनका कहना है कि बाल विवाह जीवन भर के दुख भोगने का कारण बन सकता है। बाल विवाह से घरेलू हिंसा, दुर्व्यवहार, भेदभाव और मानसिक स्वास्थ्य खराब होने की प्रबल संभावना है।
बता दें कि यूनिसेफ ने भुखमरी, बाल विवाह और बाल श्रम रोकेने के लिए एक नकद सहायता कार्यक्रम चालू किया लेकिन अफगानिस्तान की स्थिति को देखते हुए उसे लगता है कि ये उपाय उतने पर्याप्त साबित नहीं होंगे जितने होने चाहिए।
तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री का दावा
शुक्रवार को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अफगानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा की स्थिति के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए दावा किया कि तालिबान के कब्जे के बाद से ही स्कूलों-कॉलेजों में लड़कियों ने जाना लगभग बंद कर दिया था लेकिन अब 75 प्रतिशत से ज्यादा लड़कियां स्कूलों में पहुंचने लगी हैं।
Created On :   13 Nov 2021 8:59 PM IST