Mars mission: चीन का पहला मार्स मिशन लॉन्च, जानिए मंगल ग्रह में क्यों जाना चाहते हैं हम?

China launched first solo Mars mission Tianwen-1 first successful landing on Red Planet Know about Mars Space
Mars mission: चीन का पहला मार्स मिशन लॉन्च, जानिए मंगल ग्रह में क्यों जाना चाहते हैं हम?
Mars mission: चीन का पहला मार्स मिशन लॉन्च, जानिए मंगल ग्रह में क्यों जाना चाहते हैं हम?
हाईलाइट
  • चीन का पहला मार्स रोवर थिएनवेन नंबर-1 सफलतापूर्वक लॉन्च

डिजिटल डेस्क, बीजिंग। अंतरिक्ष कार्य का विकास और अंतरिक्ष की खोज देश की व्यापक क्षमता दिखाती है। सभी लोग इसका महत्व समझते हैं। स्पेस एक्स के सीईओ एलोन मस्क ने दावा भी किया था कि, वे एक करोड़ लोगों को मंगल ग्रह में पहुंचाएंगे। कई देशों ने इस जुलाई में मार्स रोवर छोड़ने की योजना की घोषणा भी की।

दरअसल गुरुवार दोपहर 12 बजकर 41 मिनट पर चीन का पहला मार्स रोवर थिएनवेन नंबर-1 सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ। योजना के अनुसार अगले सात महीनों तक थिएनवेन नंबर-1 की उड़ान जारी रहेगी और अंतत: मंगल ग्रह में पहुंचेगा। इसका लक्ष्य मंगल ग्रह की परिक्रमा, मंगल ग्रह में लैंडिंग और गश्त का मिशन पूरा करना है।

चीन ने हाईनान द्वीप स्थित वनछांग प्रक्षेपण स्थल से अपने पहले मंगल ग्रह डिटेक्टर थिएनवेन नंबर-1 को सफलता से प्रक्षेपित किया। प्रक्षेपण चीन के लांग मार्च नम्बर 5 के जरिये किया गया, प्रक्षेपण के 2167 सेकेंड के बाद मंगल ग्रह डिटेक्टर सही कक्षाओं में प्रवेश करने लगा। अनुमान है कि, सात महीने बाद यह डिटेक्टर मंगल ग्रह की कक्षाओं तक पहुंच जाएगा और मंगल की सतह पर लैंडिंग और गश्त कर वैज्ञानिक खोज करेगा।

चीन ने मार्स मिशन की परियोजना 2016 में बनाई थी। चीनी मंगल अन्वेषण एक खुला वैज्ञानिक मंच है, जिसमें हांगकांग और मकाऊ समेत देश के अनेक विश्वविद्यालयों के अनुसंधान संस्थानों ने भी भाग लिया। चीन ने भी ईएसए, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, अर्जेटीना और अन्य देशों के साथ सहयोग किया। अब इन सात महीनों में पूरी दुनिया के विज्ञान प्रेमी चीन के इस मार्स रोवर पर नजर रखेंगे। अगर मिशन सफल होता है, तो चीन दुनिया में पहला देश बन जाएगा, जो मंगल ग्रह के पहले अन्वेषण में ही सॉफ्ट लैंडिंग पूरा कर पाएगा।

आंकड़ों के अनुसार अब तक मंगल ग्रह के अन्वेषण की सफलता दर करीब 42 प्रतिशत है। मानव जाति के इतिहास में अमेरिका, सोवियत संघ, जापान, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और भारत ने डिटेक्टर को मंगल ग्रह के कक्षा में पहुंचाया था। वहीं अमेरिका और सोवियत संघ ने मंगल ग्रह में सॉफ्ट लैंडिंग की। अब तक सिर्फ अमेरिका ने मंगल ग्रह में सैर कर निरीक्षण किया।

हालांकि मंगल ग्रह के अन्वेषण में अधिक जोखिम मौजूद हैं, लेकिन बहुत देश फिर भी सक्रिय हैं। इस साल की गर्मियों में तीन देशों के डिटेक्टर मंगल ग्रह जाएंगे। संयुक्त अरब अमीरात ने 20 जुलाई को आशा नाम के मार्स रोवर छोड़ा। चीन ने 23 जुलाई को थ्येनवन नंबर-1 का सफल प्रक्षेपण किया। अनुमान है कि अमेरिका 30 जुलाई को मार्स रोवर छोड़ेगा।

ये देश मंगल ग्रह के अन्वेषण के लिए भारी कीमत क्यों चुकाना चाहते हैं? कारण यह है कि मंगल ग्रह पृथ्वी से नजदीक है और वहां का वातावरण पृथ्वी के जैसा है। इसलिए लोग जानना चाहते हैं कि क्या मंगल ग्रह में जीवन को जन्म देने की स्थिति होती है या नहीं? मंगल ग्रह पृथ्वी का अतीत है या भविष्य?

इस बात के सबूत भी पाए गए हैं कि मंगल ग्रह में पानी और वायुमंडल मौजूद है। पृथ्वी से भिन्न है कि वहां के वायुमंडल में मुख्यत: कार्बन डाइऑक्साइड गैस होती है, लेकिन हम तकनीक के जरिए कार्बन डाइऑक्साइड से ऑक्सीजन निकाल सकते हैं। इससे लोग सांस ले सकते हैं और ईंधन भी बना सकते हैं।

इसकी वजह से भविष्य में रोबोट या मानव जाति संभवत: मंगल ग्रह में रह सकेंगे। पृथ्वी के बराबर मंगल ग्रह में क्या हुआ? क्या वह हमारा दूसरा घर बनेगा? इसका जवाब पाने के लिए लोगों की एकता और सहयोग की जरूरत है। हम एक साथ मंगल ग्रह का अन्वेषण करें।

Created On :   24 July 2020 9:06 AM IST

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