जानें रूस में सत्ता विरोधियों की मौत की असल वजह? विरोध करने पर गोपनीय तरीके से दिया जाता है जहरीली दवा, कई लोग हो चुके हैं इसका शिकार
- ब्रिटिश सरकार ने भी जताया था संदेह
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस के पावेल एंटोव जोकि राजनेता और कारोबारी थे, जिन्होंने साल 2022 के जून माह में रूस के खिलाफ यूक्रेन को सपोर्ट करते हुए देखा गया था और कई मौके पर उन्हें रूसी राष्ट्रपति के खिलाफ बोलते हुए देखा गया था। बता दें कि वे कुछ दिन पहले टूरिस्ट वीजा पर उड़ीसा आए थे, जहां एक होटल की तीसरी मंजिल से गिरकर उनकी मौत हो गई थी। यही नहीं उनके साथ एक और रूसी नागरिक संदिग्ध अवस्था में मृत पाया गया था। अब पुलिस इस पूरे मामले की गुत्थी सुलझा चुकी है। इसी के साथ रूस में सत्ता विरोधियों की रहस्यमयी तरीके से मौत का भी मामला तूल पकड़ता दिखाई दे रहा है।
साल 2020 में भी पुतिन पर लगे थे आरोप
पुतिन के कट्टर आलोचक में से एक एलेक्सी नवेलनी भी साल 2020 में कॉफी पीने के बाद उनकी हालत काफी ज्यादा खराब हो गई थी और वे इस दौरान कोमा में भी चले गए थे। जिससे उभरने में उनको काफी लंबा वक्त लगा। इनके समर्थक सत्तापक्ष पर लगातार यह आरोप लगाते रहे कि एलेक्सी नवेलनी को नोविचोक नाम का जहर दिया गया है। गौरतलब है कि विश्व के नेताओं की नजर इस मामले पर बनी हुई थीं और सभी लोग उनकी इस बीमारी को पुतिन से जोड़ कर देख रहे थे। बता दें कि यह एक मात्र ऐसा मामला नहीं जब रूस की राजनीति पर इस तरह के आरोप लगे हो। रूस का राजनैतिक इतिहास समझना जितना जटिल है उतना ही जहरीला भी है, क्योंकि रूस की राजनीति पर कई बार विरोधियों को नए-नए तरीके से जहर देकर मारे जाने के आरोप शामिल हैं। बताया जाता है कि रूस में सिस्टम के खिलाफ जाना मौत को गले लगाने के समान है।
ब्रिटिश सरकार ने भी जताया था संदेह
साल 2018 की बात है जब रूस के पूर्व डिटेक्टिव सर्गेई स्क्रिप्ल और उनकी बेटी को जहर देकर मारने खबरें अचानक चर्चा का विषय बन गई थी। साथ ही ब्रिटिश सरकार ने संदेह जताया था कि उन्हें नर्व एजेंट नोविचोक दिया गया था। रिकवरी के पिता और पुत्री ब्रिटेन छोड़कर कहा गए इसका पता आज तक किसी को नहीं चल पाया है।
असामान्य घातु मिलने की पुष्टि
साल 2017 में एक और वाक्या देखने को मिला जब सोशल एक्टिविस्ट व्लादिमिर कारा मर्जा मॉस्को के एक हॉस्पिटल में अचानक भर्ती होना पड़ा था। इसके बाद लैब में उनके खून में असमान्य धातु पाए गए, जबकि कुछ घंटे पहले वह बिल्कुल स्वस्थ थे। जिसके बाद उनकी पत्नी ने पुतिन पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पति लगातार पुतिन की नीतियों के खिलाफ बोलते थे, इसलिए उन्हें जहर देकर मारने की कोशिश की गई है।
राजनैतिक जासूसों को भी मारने का आरोप
साल 2006 में पूर्व जासूस अलेक्जेंडर लितविनेंको को ब्रिटेन में कथित तौर पर कहा जाता है कि उनके चाय या सुशी में जहर मिलया गया था। जिसके बाद वह बीमार हो गए और दो हफ्तों के भीतर रेडिएशन सिंड्रोम के चलते उनकी जान चली गई। ऐसा माना जाता है कि रूस की सत्ता के बारे में कई सारी जानकारी अलेक्जेंडर के पास थे और वे ब्रिटेन में उन्हें बेच रहे थे। इसी कारण उन्हें पोलेनियम 210 देकर मार दिया गया था।
लिऑन ट्रोट्सकी की अजीबो-गरीब तरीके से हुई थी मौत
यह घटना चालीस के दशक की है। जब जोसेफ स्टालिन के धुर विरोधी नेता और सोशल वर्कर के नाम से मशहूर लिऑन ट्रोट्सकी को अजीब तरीके से मारा गया। उस वक्त लिऑन ट्रोट्सकी मैक्सिको में रहते थे। वहां जोसेफ स्टालिन के एक खुफिया एजेंट ने ट्रोट्सकी के सिर पर एक बर्फ का टुकड़ा फेंक दिया था। इस बर्फ के टुकड़े में जहर मिला हुआ था। जिसके स्किन के भीतर जाते ही ट्रोट्सकी बीमार पड़ने लगे और जहर शरीर में फैलने की वजह से कुछ दिन बाद उनकी मौत हो गई।
बता दें वे मौत से पहले भी कई बार जानलेवा हमला का शक जता चुके थे। लिऑन के अजीबोगरीब तरीके से हुई मौत का आरोप मैक्सिको ने तत्कालीन सोवियत संध की सिक्योरिटी एजेंसी केजीबी पर लगाया था। लेकिन इसकी पुष्टि कभी नहीं हो पाई। ऐसे ही कई बार अलग-अलग तरीकों से जहर देकर मारने के आरोप रूस की सत्ता पर लगते रहे है। हालांकि कभी भी रूस की सत्ता ने इन सभी बातों पर कमेंट नहीं किया।
नोविचोक जहर का इतिहास
रूस में सत्ता विरोधियों को मारने के लिए कथित तौर पर दो तरह के जहर का उपयोग किया जाता है। पहला नोविचोक और दूसरा पोलेनियम 210 माना जाता है। नोविचोक को सोवियत संघ के दौर में स्टेट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्गेनिक केमिस्ट्री एंड टेक्नोलॉजी ने तैयार किया था। यह एक तरह का नर्व एजेंट है। इसे बनाने वाले रूसी वैज्ञानिक दावा करते है कि नोविचोक जहर कई प्रचलित नर्व एजेंट्स से कही ज्यादा खतरनाक जहर है। साल 2020 में एलेक्सी नेवलिनी के कोमा में जाने के बाद नोविचोक जहर की काफी ज्यादा चर्चा होने लगी थी।
पोलेनियम 210 का इतिहास
साल 1898 में मेरी क्यूरी ने पोलेनियम 210 की खोज की थी। मेरी क्यूरी एक नोबेल पुरस्कार विजेता भी है। इस जहर का पहला नाम रेडियम एफ था, जिसके बाद इसका नाम बदल कर पोलेनियम 210 कर दिया गया। बता दें मेरी क्यूरी की अपनी बेटी इरीन जूलियट क्यूरी की मौत इसी जहर की वजह से हुई थी। कहा जाता है कि मेरी क्यूरी की बेटी लैब में पोलिनियम 210 जहर बनाने का काम करती थी, जहां वे रेडियों एक्टिव तत्व पोलेनियम 210 के संपर्क में आती थी। जिसकी वजह से उन्हें ब्लड कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो गई।
Created On :   30 Dec 2022 8:42 PM IST