युद्ध के साथ साथ भारत पर भी बढ़ने लगा है अमेरिका का दबाव, क्या अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धमकी!

युद्ध के साथ साथ भारत पर भी बढ़ने लगा है अमेरिका का दबाव, क्या अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धमकी!
रूस-यूक्रेन युद्ध युद्ध के साथ साथ भारत पर भी बढ़ने लगा है अमेरिका का दबाव, क्या अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धमकी!
हाईलाइट
  • अमेरिका ने कहा भारत रूस के खेमे में जा सकता है!

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग में भारत अपने  पुराने देश रूस खड़ा दिख रहा है। कूटनीतिक तौर पर भारत तटस्थ रहते हुए रूस का विरोध नहीं किया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा रूस के खिलाफ लाये गए निंदा प्रस्ताव में भारत वोटिंग से भी दूर रहा। भारत के इस फैसले पर अब अमेरिका ने सख्त आपत्ति जताई है। अमेरिका ने गुरूवार को राजनयिकों को राजनयिक केबल के जरिए संदेश दिया है कि भारत की यह स्तिथि उसे रूस के खेमे में ले जा रही है। 

अमेरिका मीडिया का दावा

अमेरिकी मीडिया AXIOS की रिपोर्ट के अनुसार, वॉशिंगटन ने सख्त लहजे में कूटनीतिक मैसेज भारत को भेजा है। गौरतलब है कि रूस के खिलाफ यूएन में मतदान के दौरान भारत अनुपस्थित रहा था। भारत कहीं न कहीं अपने पुराने दोस्त देश के खिलाफ बगावती तेवर नहीं दिखाना चाहता है। यूएन में वोटिंग के दौरान अमेरिका ही नहीं जर्मनी, फ्रांस जैसे ताकतवर देश और नाटो, यूरोपियन यूनियन जैसी संस्थाए भी रूस के खिलाफ हैं। भारत यूक्रेन मामले पर बार-बार बातचीत के जरिए मामला सुलझाने पर जोर दे रहा है। 

जानें राजनयिक केबल के जरिए संदेश के मायने

राजनयिक केबल या गोपनीय मैसेज को विदेश मंत्रालय संबंधित पक्षो को भेजता है। इस तरह के संदेश किसी देश की विदेश नीति को बताते हैं। गौरतलब है कि इस तरह संदेश भेजने से पहले उसके हर पहलुओं पर चर्चा की जाती है फिर आखिरी रूप दिया जाता है। यही नहीं इस संदेश को विभिन्न दूतावास तक भेजने से पहले कई अधिकारियों से समीक्षा कराई जाती है। आंतरिक नीतिगत फैसलों और दिशा-निर्देशों को विदेश में तैनात राजनयिकों को देने के लिए प्रमुख रूप से राजनयिक केबल का ही सहारा लिया जाता है। 

अमेरिकी दूतावासों को भेजा गया था संदेश

 गौरतलब है कि इस राजनयिक केबल को बीते सोमवार को मानवाधिकार परिषद की बैठक से ठीक पहले करीब 50 देशों में मौजूद अमेरिकी दूतावासों को भेजा गया था। हालांकि बाद में उसे मंगलवार को उसे वापस ले लिया गया था। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि जब इस बारे में अमेरिकी विदेश मंत्रालय से संपर्क किया गया तो उसे विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता ने एक गलती करार दिया था, प्रवक्‍ता ने कहा था कि इस तरह की भाषा के इस्तेमाल की कभी भी मंजूरी नहीं दी सकती है। आगे उन्होंने कहा कि इस केबल को गलती से जारी कर दिया गया था और इसी वजह से उसे वापस ले लिया गया है। 
 

Created On :   3 March 2022 8:08 PM IST

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