हमास-इजराइल विवाद अपडेट: इजराइल में घुसे 1500 से अधिक हमास आतंकी ढेर, प्रतिबंधित फॉस्फोरस बम के इस्तेमाल का आरोप, बेहद घातक है ऑक्सीजन सोखने वाला बम

इजराइल में घुसे 1500 से अधिक हमास आतंकी ढेर, प्रतिबंधित फॉस्फोरस बम के इस्तेमाल का आरोप, बेहद घातक है ऑक्सीजन सोखने वाला बम
इजराइल की सीमा में घुसे 1500 से अधिक हमास आतंकी हुए ढेर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हमास और इजराइल के बीच जंग जारी है। शनिवार को हमास ने इजराइल पर धावा बोला था। इसके बाद इजराइल ने जवाबी कार्रवाई करते हुए गाजा पट्टी में मौजूद हमास के कई ठिकानों पर हमला बोला। जिनमें हमास के 475 रॉकेट सिस्टम और 73 कमांड सेंटर ध्वस्त हो गए हैं। इस बीच इजराइल की मीडिया ने दावा किया है कि उसने सीमा के घुसे 1500 से अधिक हमास के आतंकियों को मार गिराया है।

इजराइल के टीवी चैनल 13 न्यूज ने जानकारी दी है कि इजराइली क्षेत्र में 1500 से ज्यादा फिलिस्तीनी आतंकवादियों के शव बिखरे पड़े हैं। इजराइल रक्षा बलों का मानना है कि उनकी सेना ने इजराइल में घुसे सैकड़ों फिलिस्तानी इस्लामिक जिहादी बंदूकधारियों को ढेर कर दिया है। गौरतलब है कि इजराइल की ओर से 23 इमारतों पर हमला किया गया है, जिसका इस्तेमाल हमास आतंकी किया करते थे। फिलिस्तीन स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि गाजा पट्टी में इजराइल द्वारा किए गए हमलों में 704 फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए हैं। इनमें 143 बच्चे और 105 महिलाएं शामिल हैं। वहीं घायलों की संख्या चार हजार के पार पहुंच गई है। हमास ने बीते शनिवार को इजराइल पर करीब 20 मिनट 5000 से रॉकेट्स दागे थे। जिसके चलते 900 से ज्यादा इजराइली नागरिकों की मौत हो गई। इसमें 11 अमेरिकी नागरिक भी शामिल हैं।

बता दें कि, फिलिस्तीन और इजराइल के बीच जारी जंग ने खतरनाक रूप ले लिया है। हमास के बारे में शक जताया जा रहा है कि उसे कई बड़ी ताकतों सपोर्ट मिल रहा है, ताकि उसके द्वारा इजराइल को युद्ध में परास्त किया जा सके। इस बीच फिलिस्तीन ने आरोप लगाया है कि इजरायल उसकी घनी आबादी वाले इलाकों में प्रतिबंधित फॉस्फोरस बम गिरा रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं कि फॉस्फोरस बम क्या है और यह काम कैसे करता है? साथ ही, घनी आबादी में इसका यूज करना कितना खतरनाक साबित हो सकता है।

फॉस्फोरस को क्यों माना जाता है खतरनाक?

दरअसल, फॉस्फोरस बम मोम की तरह नॉन मेटल पदार्थ होता है। जो रंगहीन होता है। लेकिन कई बार यह हल्का पीला रंग का भी दिखाई देता है। साथ ही, इससे लहसून जैसी गंध भी आती है। प्रतिक्रियाशील होने के कारण यह ऑक्सीजन के संपर्क में आते ही जलने लगता है। ऐसे में जब यह हवा के संपर्क में आते ही यह अपने चारों ओर आग लगा देता है। इसके पीछे का बड़ा कारण हवा में ऑक्सीजन की मौजूदगी का होना है। इसके अलावा फॉस्फोरस 30 डिग्री सेल्सियस के संपर्क में आते ही जलने लगता है, इसलिए इसे पानी में रखा जाता है।

'फॉस्फोरस बम' फॉस्फोरस से बना होता है, जैसा कि नाम से भी पता लग रहा है। इस बम को बेहद खतरनाक माना जाता है। जिस जगह पर भी यह बम विस्फोट होता है, उस जगह के आसपास यह बम ऑक्सीजन को सोख लेता है। ऐसे में ऑक्सीजन की कमी के चलते लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है और कई मर्तबा लोगों की मौत भी हो जाती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका हमला परमाणु अटैक के जैसा ही खतरनाक होता है।

कब-कब हुआ था फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने जर्मनी के खिलाफ फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल किया था। जर्मनी ने आरोप लगाया था कि अमेरिका ने उन पर दवाब बनाने के लिए जान-बूझकर रिहायशी इलाकों पर वाइट फॉस्फोरस की बमबारी शुरू की। इराक युद्ध के दौरान भी अमेरिकन मिलिट्री पर फॉस्फोरस बम यूज करने के आरोप लगे थे। इसके बाद साल 1980 में जनेवा कन्वेंशन के दौरान वाइट फॉस्फोरस पर लगभग प्रतिबंधित लगा दिया गया था। इसके मुताबिक कुछ खास वजहों और जगहों पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

जनेवा कन्वेंशन के दौरान भी यह भी तय किया गया कि इस बम का इस्तेमाल रिहायशी इलाकों में नहीं किया जाएगा। लेकिन इसके बावजूद भी अमेरिका पर फॉस्फोरस बम के इस्तेमाल करने के आरोप लगते रहे हैं। जानकारों के मुताबिक, अमेरिका जैसे ताकतवर देश इसका इस्तेमाल इसलिए कर पा रहे हैं कि क्योंकि, प्रोटोकॉल में कई कमियां छोड़ दी गई है। जिसके चलते कई देश बेझिझक बम अटैक कर पा रहे हैं।

सीरिया में सिविल वॉर के दौरान भी कई संगठन इस बम का इस्तेमाल आपस में हमले के दौरान किया था। इंटरनेशन एनजीओ ह्यूमन राइट्स वॉच ने साल 2012 से अगले छह सालों तक इस बम यूज के 90 से ज्यादा केस गिने हैं। बता दें कि, इजराइल ने कन्वेंशन पर दस्तखत नहीं किए हैं। उस पर गाजा पट्टी पर हमेशा से ही इस बम के इस्तेमाल करने का आरोप लगता रहा है। कथित तौर पर इजराइल ने लेबनान पर भी केमिकल से अटैक को अंजाम दिया है। साल 2016 में सऊदी के नेतृत्व में यमन पर इस बम से हमला किया गया था। इस्लामिक स्टेट (ISIS) पर एक्शन लेते हुए अमेरिकी सेना कई बार सीरिया और इराक के कई इलाकों में फॉस्फोरस बम की बरसात कर चुकी है।

Created On :   10 Oct 2023 12:28 PM IST

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