मुश्किल में जुकरबर्ग!: गलत सूचना फैलाने के चलते META को भेजा जाएगा समन, संसदीय कमिटी ने जुकरबर्ग के खिलाफ तैयार किया सख्त प्लान

गलत सूचना फैलाने के चलते META को भेजा जाएगा समन, संसदीय कमिटी ने जुकरबर्ग के खिलाफ तैयार किया सख्त प्लान
  • संसदीय कमिटी ने जुकरबर्ग के खिलाफ तैयार किया सख्त प्लान
  • गलत सूचना फैलाने के चलते META को भेजा जाएगा समन
  • बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने दी जानकारी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मेटा के CEO मार्क जुकरबर्ग को भारत के लोकसभा चुनाव पर टिप्पणी करने के चलते फेसबुक की मूल कंपनी मेटा मुश्किलों में फंसती दिखाई दे रही है। जुकरबर्ग की टिप्पणी के चलते भारत की संसदीय पैनल ने कंपनी के खिलाफ समन जारी करने का मन बना लिया है। बीजेपी सांसद और संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी पर सदन पैनल के अध्यक्ष निशिकांत दुबे ने कहा कि गलत सूचना फैलाने के चलते मेटा को समन भेजा जाएगा।

निशिकांत दुबने ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा- एक लोकतांत्रिक देश के बारे में गलत सूचना और उसकी छवि को खराब करती है। संगठन को इस गलती के लिए संसद और यहां के लोगों से माफी मांगनी चाहिए। वहीं, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर कहा कि 2024 के आम चुनाव में 64 करोड़ से अधिक भारतीय मतदाताओं ने हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने तीसरी बार सत्ता हासिल की। जुकरबर्ग का यह दावा कि 2024 के चुनावों में कोविड-19 महामारी के बाद भारत समेत अधिकांश सरकारें हार गईं, तथ्यात्मक रूप से गलत है।

जानें पूरा मामला

बता दें कि, मार्क जुकरबर्ग ने एक कथित बयान पर यह विवाद पैदा हुआ है। उन्होंने एक पॉडकास्ट में कथित तौर पर दावा किया था कि 2024 के चुनावों में भारत समेत अधिकांश मौजूदा सरकारों को हार का सामना करना पड़ा है। पॉडकास्ट में मार्क जुकरबर्ग ने कहा कि मौजूदा मोदी सरकार लोकसभा चुनाव 2024 में इसलिए हारी क्योंकि उनका COVID-19 के दौरान प्रबंधन खराब रहा है। जिसके बाद भारत सरकार ने इस मामले पर सख्ती दिखाई। साथ ही, उन्होंने इसे गलत सूचना करार दिया। इसके अलावा जुकरबर्ग के सारे दावों को खारिज कर दिया।

वैष्णव ने मेटा और जुकरबर्ग पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत ने कोविड-19 के दौरान 80 करोड़ लोगों को मुफ्त भोजन और 2.2 अरब टीके प्रदान किए। प्रधानमंत्री मोदी की तीसरी बार जीत जनता के विश्वास और सुशासन का प्रमाण है।

जिसके बाद वैष्णव ने मेटा और जुकरबर्ग से तथ्यों और विश्वसनीयता बनाए रखने की अपील की। अब संसदीय पैनल की ओर से मेटा के खिलाफ समन जारी किया गया है। ऐसे में यह समझा जा सकता है कि भारत सरकार इस पूरे मामले को गंभीरता से ले रही है। बता दें कि संसदीय पैनल की ओर से मेटा के खिलाफ समन जारी करना यह दर्शाता है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है।

Created On :   14 Jan 2025 5:15 PM IST

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