श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया ने ईस्टर रविवार की हत्याओं के आरोपों को बताया 'बेतुका'
- 2019 में ईस्टर रविवार के दिन तीन चर्चों और तीन बड़े होटलों में आत्मघाती हमले हुए थे
- इन हमलों में कुल 270 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी
- इसके अलावा 500 से अधिक स्थानीय और विदेशी लोग घायल हो गये थे
डिजिटल डेस्क, कोलंबो। श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने ब्रिटेन के चैनल 4 टीवी की नवीनतम डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है उन आरोपों को बेतुका बताया है जिसमें उन्हें 2019 के ईस्टर रविवार के हमले में आईएस-संबद्ध स्थानीय इस्लामी चरमपंथियों से जोड़ा गया था।
चैनल 4 द्वारा "श्रीलंका के ईस्टर बम विस्फोट" नामक विवादास्पद टीवी डॉक्यूमेंट्री के रिलीज होने के एक दिन बाद गोटाबाया की यह प्रतिक्रिया आई है। ईस्टर रविवार के दिन 2019 में तीन चर्चों और तीन बड़े होटलों में हुये छह आत्मघाती बम हमलों में कुल 270 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा 500 से अधिक स्थानीय और विदेशी लोग घायल हो गये थे। आरोप लगाया गया था कि 2019 के चुनावों में गोटाबाया को सत्ता में लाने के लिए देश में असुरक्षा और अस्थिरता पैदा करने के उद्देश्य से ये विस्फोट कराये गये थे।
व्हिसलब्लोअर्स और पूर्व सुरक्षा अधिकारियों के साक्षात्कारों की एक श्रृंखला के आधार पर, चैनल 4 ने दावा किया कि श्रीलंका के सैन्य खुफिया के वर्तमान प्रमुख मेजर जनरल सुरेश सल्लाय ने कथित तौर पर यहा साबित करने के लिए कि देश की सुरक्षा खतरे में है, श्रीलंकाई इस्लामी चरमपंथियों के आईएस-संबद्ध समूह के साथ एक साजिश रची थी।
चैनल 4 द्वारा साक्षात्कार में, आज़ाद मौलाना, जिनकी पहचान एक व्हिसिलब्लोअर के रूप में की गई थी और जो सिवनेसथुराई चंद्रकांतन के पूर्व प्रवक्ता भी थे, लिट्टे से अलग हुए तमिल विद्रोही समूह के नेता थे और बाद में श्रीलंकाई सरकारी बलों में शामिल हो गए। उन्होंने कहा कि उन्होंने खुफिया प्रमुख के साथ आत्मघाती हमलावरों की बैठक की व्यवस्था की थी क्योंकि उन्हें उनकी साजिश के बारे में जानकारी नहीं थी।
ईस्टर रविवार के हमलों की सुबह 21 अप्रैल 2019 को सैले ने उनसे संपर्क किया और कोलंबो के प्रमुख भारतीय होटल, ताज समुद्र में एक व्यक्ति से मिलने के लिए कहा, जिसके बारे में बाद में पता चला कि वह आत्मघाती हमलावर था जिसका बम नहीं फटा था।
सैन्य प्रमुख का बचाव करते हुए गोटबाया राजपक्षे ने गुरुवार को कहा कि सल्लाय 2016 से 2018 तक मलेशिया में एक राजनयिक के रूप में कार्यरत थे, इस अवधि के दौरान व्हिसलब्लोअर ने दावा किया कि सल्लाय ने बम विस्फोट की साजिश रची थी।
राजपक्षे ने यह भी कहा कि जनवरी से नवंबर 2019 तक खुफिया प्रमुख भारत के राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज में एक पाठ्यक्रम के सिलसिले में भारत में थे।
पूर्व राष्ट्रपति ने दावा किया कि 2015-2019 सरकार ने देश में पनप रहे मुस्लिम चरमपंथ को नजरअंदाज किया।
अपने बयान में, गोटबाया ने यह भी कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति बनने के बाद जांच के लिए अमेरिकी संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) से सहायता मांगी थी और उन्हें अमेरिकी विदेश विभाग के ब्यूरो ऑफ काउंटरटेररिज्म के क्रिस्टोफर ए लैंडबर्ग ने सूचित किया था कि एफबीआई ने श्रीलंकाई कानून प्रवर्तन के साथ मिलकर काम किया था, और हमलों के बाद के सप्ताह में अमेरिका ने श्रीलंका की जांच में सहायता के लिए लगभग 33 कर्मियों को कोलंबो में तैनात किया था।
श्रीलंका में अगले साल होने वाले प्रमुख चुनावों से पहले चैनल 4 के खुलासे ने देश के राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है और विपक्षी दल तथा कैथोलिक चर्च अंतर्राष्ट्रीय जांच और हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित करने की मांग कर रहे थे।
आत्मघाती हमलों के बाद, गोटबाया राजपक्षे को भारी बहुमत से चुना गया, लेकिन दो साल बाद 2022 में सार्वजनिक आंदोलन के बीच उन्हें देश से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा।
गोटाबाया समर्थक बहुमत वाली संसद के समर्थन से संसदीय वोट से रानिल विक्रमसिंघे को राष्ट्रपति चुना गया।
(आईएएनएस)
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Created On :   7 Sept 2023 7:16 PM IST