बांग्लादेश की मांग: क्या तोड़ी जा सकती है प्रत्यर्पण संधि या शेख हसीना को वापस भेजने को मजबूर है भारत? जानें क्या हैं इसके नियम

क्या तोड़ी जा सकती है प्रत्यर्पण संधि या शेख हसीना को वापस भेजने को मजबूर है भारत? जानें क्या हैं इसके नियम
  • बांग्लादेश की सरकार मांग रही शेख हसीना को वापस
  • भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि
  • ये हैं इसके नियम

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय की तरफ से डॉ. तौहीद हुसैन ने कहा है कि बांग्लादेश ने पूर्व सीएम शेख हसीना को आधिकारिक तौर पर वापस भेजने की मांग की है। तौहीद हुसैन ने मंत्रालय में मीडिया से बात करते समय कहा है कि, बांग्लादेश की तरफ से भारत को नोट वर्बल भेजा गया है। जिसमें शेख हसीना की प्रत्यार्पण की मांग की है। बांग्लादेश की सरकार चाहती है कि शेख हसीना को न्यायिक प्रक्रिया के लिए भारत में वापस लाया जाए। हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि बांग्लादेश की तरफ से शेख हसीना की मांग की हो। लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि औपचारिक रूप से पत्र लिखकर प्रत्यर्पण की मांग की हो।

ऐसे में ये सवाल मन में आता है कि, क्या भारत शेख हसीना को वापस भेजने के लिए मजबूर है या नहीं। तो चलिए इससे जुड़ी कुछ अहम नियमों के बारे में जानते हैं।

क्या है बांग्लादेश और भारत के बीच की प्रत्यर्पण संधि?

भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 से प्रत्यर्पण संधि है। इस संधि के तहत दोनों देश एक दूसरे के अपराधियों को शरण नहीं दे सकते हैं। उनको अपराधियों को वापस सौंपना पड़ेगा। भारत और बांग्लादेश के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति अपराध करने के बाद या अपराध के मामले में जुड़े रहने के बाद अगर उसको एक साल की सजा हुई है तो, उसको प्रत्यर्पित किया जाएगा। संधि के अनुच्छेद 10(3) के तहत, प्रत्यर्पण की मांग करने वाले देश को दूसरे देश के सामने अरेस्ट वारंट दिखाना होगा। इसके लिए आरोपों का साबित होना भी जरूरी नहीं है। बता दें, साल 2016 से पहले प्रत्यर्पण की मांग करने वाले देश को सबूत पेश करने होते थे। लेकिन प्रत्यर्पण प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए इस नियम को हटा दिया गया था।

कब हुआ प्रत्यर्पण?

कई बार प्रत्यर्पण हो चुका है। जिसमें एक बार साल 1975 में शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या में शामिल हुए दो दोषियों को फांसी की सजा के लिए साल 2020 में बांग्लादेश प्रत्यर्पित किया गया था। वहीं, दूसरी बार प्रतिबंधित यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के महासचिव अनूप चेतिया का प्रत्यार्पण भारत को बांग्लादेश की तरफ से किया गया था।

क्या भारत मना कर सकता है प्रत्यर्पण के लिए?

भारत और बांग्लादेश के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, अगर कोई भी व्यक्ति राजनैतिक अपराधों में शामिल है तो प्रत्यर्पण से मना किया जा सकता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति शरण देने वाले देश को ये भरोसा दिला देता है कि राजनीतिक नफरत के चलते उसके प्रत्यर्पण की मांग की जा रही है और वापस जाने पर उसकी जान को खतरा है तो, ऐसी परिस्थिति में प्रत्यर्पण से मना किया जा सकता है।

क्या तोड़ सकते हैं प्रत्यर्पण संधि?

भारत और बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि में ऐसा प्रावधान है कि अगर दोनों देशों में या फिर कोई एक तरफ के लोग चाहे तो, संधि को तोड़ भी सकता है। संधि का अनुच्छेद 21(3) दोनों देशों को इजाजत देता है कि वे संधि को खत्म कर सकते हैं। बता दें, ऐसा करने से इसका असर भारत और बांग्लादेश के बीच राजनीतिक रिश्तों पर भी देखने को मिल सकता है।

Created On :   23 Dec 2024 6:42 PM IST

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