Myanmar-Bangkok Earthquake: म्यांमार में आया भीषण भूकंप, जानें आखिर क्या है इसके पीछे का कारण?

- म्यांमार में आया भीषण भूकंप
- दस हजार से ज्यादा लोगों के मौत की आशंका
- 10 घंटे में आए 15 भूकंप
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मयांमार-बैंकॉक में 28 मार्च (शुक्रवार) को भारी भूकंप आया है। जिसके बाद से ही लोग काफी ज्यादा परेशान हुए थे। भूकंप इतना ज्यादा तेज था कि पुल से लेकर बिल्डिंग्स तक ढह गई हैं। इस भूकंप में करीब 10 हजार से भी ज्यादा लोगों ने अपनी जान खोई है, कहीं लोग लापता हो गए हैं तो ढाई हजार से ज्यादा लोग घायल हैं। म्यांमार के साथ-साथ थाइलैंड में भी भूकंप आया था। लेकिन वहां किसी भी तरह की जनहानि नहीं हुई है। थाइलैंड में करीब 10 लोगों की मौत की जानकारी सामने आई है।
रुक-रुककर आए 15 झटके
यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, म्यांमार में शुक्रवार को केवल 10 घंटे में करीब 15 भूकंप आए थे। पहले भूकंप की तीव्रता 7.7 मैग्नीट्यूड का था जिसके बाद से ही तबाही मच गई थी। पहले भूकंप के बाद ही लगातार कम तीव्रता के भूकंप आते रहे थे। एक भूकंप 6.4 मैग्नीट्यूड का भी आया था। ऐसे में म्यांमार के लोगों में डर भर गया है। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि म्यांमार में भूकंप आया हो, यहां पर पहले भी कई भूकंप आने का इतिहास रहा है।
म्यांमार में क्यों आते हैं भूकंप?
म्यांमार में अक्सर भूकंप के झटके महसूस होते हैं। क्योंकि म्यांंमार दो टेक्टोनिक प्लेट्स के बीच की सीमा पर बसा है। इसे सागाइंग क्षेत्र भी कहा जाता है। सागाइंग क्षेत्र में बड़े और विनाशकारी भूकंप अपेक्षाकृत कम ही दिखाई देते हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, इंडिया प्लेट और यूरेशिया प्लेट अलग-अलग दिशाओं में चलती है। एक उत्तर की तरफ चलती है तो दूसरी दक्षिण की तरफ। ये म्यांमार के बीच से होकर ही गुजरती हैं। प्लेट्स अलग-अलग स्पीड से क्षैतिज रूप से एक दूसरे के पास से जाती हैं। िससे ही स्ट्राइक स्लिप भूकंप आते हैं।
क्यों आया था इतनी तेज भूकंप?
ब्रिटिश जियोलॉजिस्ट रोजर मुसन ने मीडिया से बातचीत के समय बताया है कि, भूकंप की कम गहराई का मतलब है कि नुकसान ज्यादा होगा। म्यांमार में भूकंप का केंद्र सिर्फ 10 किमी गहराई में था। इसलिए ही ज्यादा नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया है कि, कम गहराई पर केंद्र होने की वजह से ही भूकंप का केंद्र से सतह तक जाने पर शॉकवेव खत्म नहीं हो पाती है। ऐसे में इमारतों को झटकों की पूरी तरह ताकत झेलनी पड़ती है और म्यांमार में यही हुआ है।
Created On :   29 March 2025 5:40 PM IST