चटगांव हथियार केस: भारत में बैन आतंकी संगठन उल्फा चीफ परेश बरुआ मौत की सजा की रद्द, 10 साल पहले मिली थी फांसी की सजा

भारत में बैन आतंकी संगठन उल्फा चीफ परेश बरुआ मौत की सजा की रद्द, 10 साल पहले मिली थी फांसी की सजा
  • भारत में बैन आतंकी संगठन उल्फा चीफ परेश बरुआ की सजा रद्द
  • बांग्लादेश के एक कोर्ट ने सुनाया फैसला
  • चटगांव हथियार केस मामले में सुनाया फैसला

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश के एक हाईकोर्ट ने भारत में प्रतिबंधित आतंकी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के प्रमुख परेश बरुआ की मौत की सजा को रद्द कर दिया। कोर्ट ने उनकी सजा-ए-मौत को उम्र कैद में बदल दिया। बांग्लादेश की स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसी मामले में बांग्लादेश के पूर्व मंत्री लुत्फोज्जमान बाबर और 5 अन्य लोगों को बरी कर दिया गया है। वहीं अन्य को दस साल की सजा सुनाई। बता दें कि ये सभी चटगांव हथियार मामले में दोषी पाए गए थे।

क्या है चटगांव हथियार मामला

1 अप्रैल 2004 को बांग्लादेश में हथियारों और गोला-बारूद से भरे 10 ट्रक जब्त किए गए थे। यह बांग्लादेश के इतिहास में हथियारों की खेप की सबसे बड़ी जब्ती थी। इन हथियारों में चीन में बनी एके-47, सेमी ऑटोमेटिक राइफल, रॉकेट लांचर, रॉकेट शेल, पिस्तौल, हैंड ग्रेनेड और भारी मात्रा में कारतूसों के अलावा विस्फोटक सामग्री थी। इस केस की जब जांच की गई तो इसमें तत्कालीन गृह राज्य मंत्री लुत्फोज्जमां बाबर के शामिल होने के सबूत मिले थे। वह उल्फा चीफ परेश बरुआ को बांग्लादेश में भी शरण देने के दोषी भी पाए गए थे। हालांकि परेश बरुआ की करेंट लोकेशन की किसी को जानकारी नहीं है। लेकिन, कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि वो चीन-म्यांमार सीमा के इलाके में छिपा हुआ है।

बता दें कि चटगांव हथियार केस मामले के चलते भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों को काफी नुकसान पहुंचा था। तब बांग्लादेश में खालिदा जिया की सरकार थी। तब भारत से जुड़े अधिकारियों ने ये कहा था कि भारत के दबाव में ही हथियारों को जब्त किया गया था, यदि भारत दबाव नहीं बनाता तो ये हथियार अलगाववादियों के पास पहुंच जाते। हालांकि भारतीय अधिकारियों के दावों को बांग्लादेश सरकार ने तब नकार दिया था।

इसके बाद साल 2009 में शेख हसीना सत्ता में आईं जिसके बाद इस केस में तेजी आई। इसके बाद जनवरी, 2014 में चटगांव की एक अदालत ने इस घटना में शामिल होने के आरोप में BNP सरकार में उद्योग मंत्री रहे चुके जमात-ए-इस्लामी के अमीर मतीउर निजामी, गृह मंत्री लुत्फज्जमां बाबर और उल्फा चीफ परेश बरुआ समेत 14 लोगों को फांसी की सजा सुनाई थी।

Created On :   19 Dec 2024 12:22 AM IST

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