कनाडा गए लगभग 700 भारतीय छात्रों पर मंडराया 'डिपोर्टेशन' का खतरा! दस्तावेजों में इस गलती से मुश्किल में फंसे छात्र, फिलहाल ये है स्थिति
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कनाडा में भारतीय छात्रों को जबरन देश वापसी यानी डिपोर्टेशन करवाया जा रहा था। जिसके विरोध में भारतीय छात्रों ने कनाडा में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था। इसके बाद भारतीय छात्रों को कनाडा सरकार की ओर से राहत मिली है। वहां की सरकार ने अगले आदेश तक लवप्रीत सिंह नाम के छात्र के साथ शुरू हुई कार्यवाही को फिलहाल अगले आदेश तक रोक दिया गया है। बता दें कि, इससे पहले कनेडियन बॉर्डर सर्विस एजेंसी (CBSA) ने लवप्रीत सिंह को 13 जून तक कनाडा छोड़ने को कहा था। जिसके बाद गुस्साए छात्रों ने टोरंटो में प्रदर्शन शुरू कर दिया था।
700 भारतीय छात्रों पर डिपोर्टेशन का खतरा
इस मामले को लेकर बीते शुक्रवार को आम आदमी पार्टी की ओर सांसद विक्रमजीत साहनी का एक बयान सामने आया। उन्होंने बताया कि कनाडा की सरकार ने फिलहाल वहां पर मौजूद 700 भारतीय छात्रों के डिपोर्टेशन को रोकने का फैसला लिया है। साहनी ने कहा कि यह संभव इसलिए हो पाया है क्योंकि हमने और भारतीय उच्चायोग ने इस मसले में दखल दिया है। तब जाकर वहां की सरकार ने यह फैसला लिया है। बता दें कि जाली दस्तावेजों के चलते भारतीय छात्रों पर डिपोर्टेशन के चलते उन पर संकट के बादल छाए हुए हैं।
साहनी ने बताया कि हमने उन्हें पत्र लिखकर कहा है कि इन छात्रों ने कोई धोखाधड़ी नहीं की है। बल्कि ये छात्र धोखाधड़ी के शिकार हुए है। इसके पीछे अनाधिकृत (Unauthorized) एजेंट्स का हाथ है। इन छात्रों को फर्जी एडमिशन लेटर दिया गया और भुगतान की रसीदें भी मिली थी। साथ ही बगैर जांच के वीजा आवेदन किए गए थे। इसके बाद जब छात्र कनाडा पहुंचे तो इमिग्रेशन ने भी उन्हें आने दिया। कनाडा अधिकारियों ने छात्र लवप्रीत के मामले में पाया था कि वह जिन दस्तावेजों के आधार पर कनाडा में एंटर हुए थे, वे सभी दस्तावेज नकली थे। गौरतलब है कि जिन 700 छात्रों का मामला कनाडा में अटका हुआ है, उसमें से ज्यादातर छात्र पंजाब से है।
भारतीय दूतावास सवालों के घेरे में
इन सभी के बीच भारतीय दूतावास के अधिकारी भी सवालों के घेरे में आ गए है। क्योंकि वे जाली दस्तावेजों की पहचान करने में असफल रहे। भारतीय दूतावास अधिकारी ने भी छात्रों को यूनिवर्सिटी का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद जब छात्र यूनिवर्सिटी पहुंचे तो उसे पता चला की वह वहां पर रजिस्टर्ड ही नहीं हैं। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि बृजेश मिश्रा नाम के एक व्यक्ति ने उन्हें ठगने का काम किया है।
गौरतलब है कि साल 2016 में वृजेश मिश्रा की कंपनी उस वक्त सवालों के घेरे में आ गई, जब कनाडा पहुंचे छात्रों ने नागरिकता के लिए आवेदन किया, तब उन्हें जाली दस्तावेज थमा दिया गया था। इसके बाद मामले की जानकारी कनेडियन बॉर्डर सर्विस एजेंसी को लगी तो उन्होंने मिश्रा की कंपनी पर कार्रवाई की। जानकारी के मुताबिक, 2016 से 2020 तक मिश्रा के जरिए पहुंचे छात्रों को अधिकारियों की ओर नोटिस भेजा गया था।
Created On :   10 Jun 2023 4:21 PM IST