PDA फॉर्मूला फेल: योगी आदित्यनाथ के 'बंटेंगे तो कटेंगे' के नारे ने किया कमाल, अखिलेश यादव का लोकसभा फॉर्मूला नहीं आया काम, क्या है इसकी वजह?
- 'बंटेंगे तो कटेंगे' के नारे ने किया कमाल
- यादव का फॉर्मूला नहीं किया कमाल
- क्या है वजह?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सीएम योगी आदित्यनाथ का 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारा झारखंड में नहीं लेकिन महाराष्ट्र में कमाल करता नजर आया है। लोकसभा के नतीजे के बाद अखिलेश यादव को अति आत्मविश्वास से भर दिया था। जिसके चलते उन्होंने उसका सामना किया है जो लोकसभा में बीजेपी ने किया था। सीएम योगी ने लोकसभा चुनावों में बीजेपी को अतिआत्मविश्वास से भरने को ही हार का कारण बताया था।
साल 2022 में क्या हुआ था?
साल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने करहल, सीसामऊ, कटेहरी और कुंदरकी सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, करहल से खुद अखिलेश यादव ही चुनाव जीते थे। लेकिन बाद में कन्नौज से लोकसभा चले गए थे। इसके अलावा मीरापुर विधानसभा सीट जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी के पास थी। जिसके बाद वो समाजवादी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गई थीं। बीजेपी ने साल 2022 में फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर सीटों पर कब्जा कर लिया था।
सपा के नौ सीटों पर उम्मदीवार
अखिलेश यादव ने सारी 9 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे। जिसका कांग्रेस ने समर्थन भी दिया था। जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस को कम सीटें मिली थी जिससे उन्होंने नाराज होकर ये कदम उठाया था। लेकिन नतीजे आने के बाद अखिलेश यादव पर कांग्रेस का ना रहना भारी पड़ा था।
क्यों है कांग्रेस का साथ सपा के लिए मुसिबत?
अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने साल 2024 में लोकसभा चुनाव में एक साथ आए थे। जिसके बाद चुनाव के नतीजे भी साफ हो गए थे। इससे ये साफ हो गया था कि अगर सपा और कांग्रेस साथ मिलकर लड़े और अपने वोटों को ट्रांसफर कर पाएं तो उनको सफलता हासिल हो सकती है।
बंटेंगे तो कटेंगे नारा आया काम
मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट के नतीजे सामने आए हैं। कुंदरकी में योगी आदित्यनाथ के बंटेंगे तो कटेंगे नारे का असर दिख रहा है। 31 साल बाद यूपी की कुंदरकी सीट पर बीजेपी ने अपना कमल खिलाया है।
Created On :   24 Nov 2024 10:58 AM IST