एमसीयू में विशेष व्याख्यान: कार्यशालाएँ सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक दृष्टिकोण देती हैं : कुलगुरु प्रो. सुरेश
- जनमाध्यमों की प्रकृति के अनुकूल ही उनकी भाषा होती है : प्रो. मृणाल चटर्जी
- एमसीयू के न्यू मीडिया टैक्नोलॉजी, जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग में व्याख्यान का आयोजन
- राष्ट्र निर्माण में अंग्रेजी पत्रकारिता की भूमिका विषय पर विशेष व्याख्यान
डिजिटल डेस्क, भोपाल। जनसंचार के हरेक माध्यम की विशेष प्रकृति और चुनौतियां होती हैं। उनमें लिखने के लिए उनको समझना जरूरी है, यह कहना है प्रो. (डॉ) मृणाल चटर्जी का। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन के ढेकनाल (ओडीसा) परिसर के निदेशक प्रोफेसर चटर्जी जनसंचार माध्यमों के लिए लेखन विषय पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग में विद्यार्थियों को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु (प्रो) डॉ. के.जी. सुरेश ने की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलगुरु प्रो. सुरेश ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएँ न केवल छात्रों को सैद्धांतिक ज्ञान प्रदान करती हैं, बल्कि उन्हें व्यावहारिक दृष्टिकोण भी देती हैं। इसके पूर्व जनसंचार विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. आरती सारंग ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन विभाग के वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डॉ. लाल बहादुर ओझा ने एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. उर्वशी परमार ने किया। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अविनाश वाजपेयी, जनसंचार विभाग के शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
नवीन मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग के विक्रमशिला स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में एआई इन मीडिया एजुकेशन विषय पर विशेष व्याख्यान में प्रो. मृणाल चटर्जी ने कहा कि एआई एक महान प्रशिक्षक एवं मददकर्ता है। उन्होंने कहा कि एआई मानव पर शासन नहीं कर सकता, मानव एआई पर शासन करेगा । व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए कुलगुरु प्रोफेसर डॉक्टर के. जी. सुरेश ने एआई के महत्व पर प्रकाश डाला । उन्होंने विद्यार्थियों को अपडेट रहने की सलाह दी । व्याख्यान का संयोजन डीन एवं विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. पी. शशिकला ने किया । संचालन सहायक प्राध्यापक मनोज कुमार धुर्वे द्वारा किया गया।
पत्रकारिता विभाग में 'राष्ट्र निर्माण में अंग्रेजी पत्रकारिता की भूमिका विषय पर विशेष व्याख्यान में प्रो. चटर्जी ने कहा कि भारत की अंग्रेजी पत्रकारिता के दो हिस्से रहे हैं, एक, अंग्रेजों की समर्थक पत्रकारिता, दूसरा स्वतंत्रता आंदोलन में राष्ट्रीयता को बढ़ावा देने वाली पत्रकारिता । भारतीय नायकों ने अंग्रेजी पत्रकारिता के माध्यम से ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध राष्ट्रीय आंदोलन को धार दी। व्याख्यान की अध्यक्षता और विषय प्रवर्तन विभागाध्यक्ष डॉ. संजीव गुप्ता ने किया । कार्यक्रम का संचालन विद्यार्थी नमन अटोलिया ने और आभार प्रदर्शन सहायक प्राध्यापक लोकेन्द्र सिंह राजपूत ने किया।
Created On :   9 Aug 2024 10:01 AM IST