एमसीयू में सृजन 3.0 का शुभारंभ: पुस्तकों के अध्ययन से बदलता है जीवन -कुलगुरु

पुस्तकों के अध्ययन से बदलता है जीवन -कुलगुरु
  • विद्यार्थियों द्वारा आयोजित साहित्य के आयोजन की कुलगुरु तिवारी ने की प्रशंसा
  • विषय की पुस्तकों के साथ-साथ साहित्य की पुस्तकों का भी अध्ययन करना चाहिए
  • समाजीकरण में भारतीय सिनेमा का बहुत बड़ा योगदान- राय

डिजिटल डेस्क, भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद सभागार में सृजन 3.0 का आयोजन किया गया। साहित्य मंडली द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी ने की । आकाशवाणी भोपाल में कार्यक्रम प्रमुख राजेश भट्ट एवं मुख्य अतिथि लेखक फिल्म समीक्षक पत्रकार एवं लेखक अजीत राय मुख्य वक्ता के रुप में विशेष रुप से उपस्थित थे।

कुलगुरु तिवारी ने विद्यार्थियों द्वारा आयोजित साहित्य के आयोजन की प्रशंसा करते हुए पुस्तकों के महत्व पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि पुस्तकों के अध्ययन से जीवन बदल जाता है, इसलिए विद्यार्थियों को अपने विषय की पुस्तकों के साथ-साथ साहित्य की पुस्तकों का भी अध्ययन करना चाहिए । कुलगुरु ने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपनी मौलिकता बचाकर रखें । मुख्य अतिथि राजेश भट्ट ने कहा कि शब्दों और लेखनी के के माध्यम से आप कहीं भी पहुंच सकते हैं। मुख्य वक्ता अजीत राय ने विद्यार्थियों से कहा कि नए समय को समझना होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शब्दों के लिए समझौते नहीं करने वाले अमर होते हैं। राय ने कहा कि समाजीकरण में भारतीय सिनेमा का बहुत बड़ा योगदान है।

कार्यक्रम के अगले सत्र में वरिष्ठ पत्रकार जयराम शुक्ल, प्रो. दिवाकर शुक्ल एवं स्वदेश ज्योति के सलाहकार संपादक प्रो. शिवकुमार विवेक मौजूद रहे, जिन्होंने साहित्य और पत्रकारिता पर प्रकाश डालते हुए इसके विभिन्न पहलुओं को दर्शाने की कोशिश की ।

रामचरित मानस की प्रासंगिता पर मानस भवन के अध्यक्ष रघुनंदन शर्मा, जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. संजय द्विवेदी व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग के वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डॉ. अरुण खोबरे ने गहराइयों से अपने विचारों को रखते हुए विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन किया। संचालन अभिलाषा सुमन ने किया।

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में साहित्य मंडली द्वारा पुस्तकों पर पर चर्चा की गई। इस विशेष सत्र में भारत भवन के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी प्रेमशंकर शुक्ल मुख्य ने मुख्य व के रूप में अपने विचार व्यक्त किए । संचालन कार्तिकेय पांडे ने किया। अगले सत्र में साहित्य और शक्ति विषय पर विशेष परिचर्चा में डीन अकादमिक डॉ. पी. शशिकला, पत्रकारिता विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. राखी तिवारी और सप्तवर्णी कला - साहित्य सृजन शोधपीठ की निदेशक डॉ. विनय षड़ंगी राजाराम ने अपने विचार व्यक्त किए । वक्ताओं ने कहा कि नारी को किसी परिभाषा में समेटने की कोशिश ही उसकी स्वतंत्रता के खिलाफ है । साहित्य तभी शक्तिशाली बनता है जब वह नारी की अपनी आवाज़ को अभिव्यक्त करने का माध्यम बनता है । कार्यक्रम के सबसे अंतिम पड़ाव में कविता लेखन कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता कवि मुदित श्रीवास्तव ने कविता और रचनात्मकता को लेकर चर्चा की और पत्रकारिता के विद्यार्थियों को भी काव्य लिखने के लिए प्रेरित किया। शुभारंभ अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अविनाश वाजपेयी, विभिन्न विभागों के शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

Created On :   23 April 2025 7:30 PM IST

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