पश्चिमी संस्कृति ने जीवन को असामान्य बनाया
- पश्चिमी संस्कृति ने जीवन को असामान्य बनाया : कैलाश खेर
डिजिटल डेस्क, भोपाल। सूफी गायक व पद्मश्री से सम्मानित कैलाश खेर का मानना है कि प्रकृति के साथ जीना ही परमेश्वर के साथ जीना है और यही वास्तविकता भी है। पश्चिमी संस्कृति का अनुसरण कर हम असामान्य जीवन जीने लगे हैं।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पब्लिक रिलेशंस सोसायटी के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस समारोह में रविवार को कैलाश खेर उदिता और अचला सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
कैलाश खेर ने इस दौरान कहा कि भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था और आगे भी कहा जाता रहेगा। बीच में कुछ ऐसी स्थितियां बनीं, जिसमें भ्रांतियों ने जगह बनाई और लोग अलग-अलग पथ पर चलने लगे। लोग पश्चिमी संस्कृति का अनुसरण करके असामान्य जीवन जीने लगे, लेकिन वास्तविकता यह है कि जब हम प्रकृति के साथ सामान्य जीवन जीते हैं, तो परमेश्वर के साथ जीते हैं।
गायक कैलाश खेर ने संस्कार की बात करते हुए कहा, असली भारत वह है, जहां तीन पीढ़ियों के विचार अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन संस्कार एक ही हो। संस्कार जब से विपरीत हुए हैं, तभी से मनुष्य विकृत हो गया है। उसके जीवन में दौलत और नाम आ गया है, लेकिन सब अलग-अलग हो गए हैं, बंट गए हैं। वही विच्छेदन बिगड़े स्वास्थ्य का घटक बना, क्योंकि संस्कार पोषित जीवन सरल होता है और सरलता का अभ्यास ही अध्यात्म है।
उदिता और अचला सम्मान समारोह से पहले प्रसिद्ध निर्देशक व अभिनेत्री आकृति सिंह की फिल्म एट डाउन तूफान मेल की स्क्रीनिंग और चर्चा हुई। पूर्व मिस इंडिया इंटरनेशनल आयशा एमन ने कहा कि महिला सशक्तिकरण का प्रयास हमारे घरों से ही शुरू होना चाहिए, तभी महिला दिवस मनाने की सार्थकता सिद्ध हो पाएगी।
गीतकार और अभिनेत्री सुहैला कपूर ने कहा कि भारत में महिलाओं को उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाली प्रथाओं को खत्म करना पड़ेगा, पर यह भी सुखद है कि आज की महिला सभी बंधनों को तोड़कर आगे बढ़ना सीखने लगी है।
मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे मध्य प्रदेश सरकार में किसान कल्याण और कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने कहा कि दुनिया में सबसे पहले महिला का सम्मान भारत में हुआ था। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि हिंदुस्तान में पुरातन से ही महिला सशक्तिकरण है।
इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार वरिष्ठ पत्रकार गिरजा शंकर ने कहा कि महिलाओं के प्रति नजरिया बदलने की जरूरत है, जिसके लिए समाज में लुप्त हो रही सांस्कृतिक चेतना को जागृत करना होगा।
पब्लिक रिलेशंस सोसायटी के अध्यक्ष पुष्पेंद्र पाल सिंह ने इस मौके पर आयोजित भविष्य के बेहतर समाज के लिए आज लैंगिक समानता आवश्यक विषय का जिक्र करते हुए कहा कि एक स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता जरूरी है, यह इस बार की अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर युनाइटेड नेशन की थीम भी है। पिछले कुछ समय से दुनियाभर में लैंगिक समानता को लेकर काफी चर्चाएं हो रही हैं। लोग इस विषय पर काफी सचेत हो गए हैं।
इस मौके पर पीआरएसआई भोपाल की ओर से अचला और उदिता सम्मान भी प्रदान किए गए।
आईएएनएस
Created On :   6 March 2022 10:30 PM IST