भारत में कैंपस स्थापित करने वाले विदेशी विवि को करिकुलम तय करने की आजादी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने विश्व के टॉप रैंकिंग विश्वविद्यालयों को भारत में अपने कैंपस स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया है। इस दिशा में बड़ी पहल करते हुए विश्व भर में फैले भारतीय दूतावासों के माध्यम से टॉप रैंकिंग विश्वविद्यालयों से संपर्क किया गया है। विदेशी विश्वविद्यालयों को बताया गया है कि उन्हें भारतीय कैंपस में करिकुलम तय करने की स्वतंत्रता दी जाएगी। हालांकि भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए कुछ स्पष्ट नियम भी तय किए जा रहे हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक इन नियमों को मंजूरी मिलने के बाद, भारत में अपने कैंपस स्थापित करने के इच्छुक विदेशी संस्थानों से ऑनलाइन आवेदन मांगे जाएंगे। इसके लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन भी किया जाएगा।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी एक महीने के भीतर भारत में विदेशी परिसरों की स्थापना के लिए एक नियम पुस्तिका लाएगा। यूजीसी के मुताबिक विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर छात्रों की सामथ्र्यता को ध्यान में रखते हुए विदेशी विश्वविद्यालयों के भारतीय कैंपस की शुल्क संरचना तय की जाएगी। यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम जगदीश कुमार के मुताबिक, नियम कायदे तय करते समय एक ऐसी अप्रोच रखी जाएगी जो कि भारत और विदेशों से आ रहे विश्वविद्यालयों दोनों के लिए ही बेहतर साबित हो।
भारत में अपने कैंपस स्थापित करने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों को कई मामलों में पर्याप्त स्वतंत्रता प्रदान की जाएगी। करिकुलम निर्धारण के साथ-साथ फैकेल्टी अपॉइंटमेंट में भी विदेशी विश्वविद्यालयों को उनकी अपनी नीति के अनुसार काम करने की इजाजत दी जा सकती है। भारत में स्थापित किए जाने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस में शैक्षणिक एवं रोजमर्रा के अन्य कार्यो में दखलअंदाजी नहीं की जाएगी। हालांकि भारतीय नियामक संस्थाएं यह सुनिश्चित करेंगी कि विदेशी विश्वविद्यालय तय नियमों के अंतर्गत ही कार्य करें।
गौरतलब है कि भारत के कई उच्च शिक्षण संस्थानों ने विश्व स्तरीय विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ एक्सचेंज प्रोग्राम शुरू कर दिया है। आईआईटी दिल्ली ने बताया कि उन्होंने एक विशेष पीएचडी कार्यक्रम के लिए ऑस्ट्रेलिया की बड़ी यूनिवर्सिटी के साथ समझौता किया है। इस समझौते के अंतर्गत ऑस्ट्रेलिया में दाखिला लेने वाले छात्र 3 वर्ष ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई करेंगे जबकि चौथे वर्ष के लिए उन्हें आईआईटी दिल्ली आकर पढ़ना होगा। ठीक इसी तरह इस समझौते के अंतर्गत आईआईटी दिल्ली में दाखिला लेने वाले छात्र 3 वर्ष तक आईआईटी दिल्ली में पढ़ाई करेंगे और चौथे वर्ष की पढ़ाई के लिए उन्हें ऑस्ट्रेलिया जाने का अवसर प्रदान किया जाएगा।
एक महत्वपूर्ण पहल के अंतर्गत भारतीय एवं विदेशी विश्वविद्यालयों के सहयोग से डुएल डिग्री कार्यक्रम को भी मंजूरी दी गई है। विदेशी विश्वविद्यालयों एवं छात्रों से परस्पर सहयोग स्थापित करने के लिए दरअसल दो अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा चुके हैं। एक निर्णय के तहत भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों में 25 प्रतिशत सीटें विदेशी छात्रों के लिए सृजित करने का निर्णय लिया जा चुका है। वहीं दूसरे के अंतर्गत डुएल डिग्री को मंजूरी दी गई है।
इस दोहरी डिग्री कार्यक्रम के लिए दुनिया भर के 60 देशों में 250 विदेशी संस्थानों की पहचान की गई है। इसके अंतर्गत भारतीय संस्थानों को विदेशी छात्रों के लिए अतिरिक्त सीटें सृजित करने में सक्षम बनाने के लिए मानदंडों में ढील दी गई है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक पिछली सरकार द्वारा विदेशी विश्वविद्यालयों को आमंत्रित करने के प्रयास नियामक, संकाय, शुल्क और शैक्षणिक पाठ्यक्रम जैसे विषयों पर सहमति न बन पाने के कारण अटक गए थे। इस बार विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए वल्र्ड रैंकिंग भी तय नियमों का हिस्सा होगी।
चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने बताया कि भारत ना केवल प्रतिष्ठित विदेशी विश्वविद्यालयों को आमंत्रित कर रहा है बल्कि विदेशी छात्रों को भारत में पढ़ने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अंतर्गत विदेशी छात्रों के लिए भारत के शिक्षण संस्थानों में 25 प्रतिशत अतिरिक्त सीटें सृजित की जा रही हैं। खास बात यह है कि इन विदेशी छात्रों को एंट्रेंस टेस्ट की प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा। विदेशी छात्रों को एंट्रेंस टेस्ट तो नहीं देना होगा पर दाखिले की एक तय प्रक्रिया बनाई जा रही है जो पूरी तरह से पारदर्शी होगी। इसके साथ ही विदेशी छात्रों के हितों का ध्यान रखते हुए उच्च शिक्षा संस्थानों को अपने संस्थानों में अंतर्राष्ट्रीय मामलों का कार्यालय बनाना होगा।
(आईएएनएस)
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Created On :   28 Aug 2022 6:30 AM GMT