डीयू ने जारी की अध्यापन संबंधी नई गाइडलाइंस, शिक्षक संगठनों का विरोध

DU issued new guidelines related to teaching, opposition from teacher organizations
डीयू ने जारी की अध्यापन संबंधी नई गाइडलाइंस, शिक्षक संगठनों का विरोध
नई दिल्ली डीयू ने जारी की अध्यापन संबंधी नई गाइडलाइंस, शिक्षक संगठनों का विरोध
हाईलाइट
  • यह अधिसूचना शिक्षक -शिक्षण वातावरण को फिर से परिभाषित करेगी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने सभी डीन, विभागों के अध्यक्षों व कॉलेजों के प्राचार्यो को एक अधिसूचना जारी की है। इसमें स्नातक पाठ्यक्रमों व स्नातकोत्तर शिक्षण के लिए नई गाइडलाइंस लागू करने को कहा गया है। नई गाइडलाइंस में लेक्कचर, ट्यूटोरियल और लैब प्रेक्टिकल के लिए छात्रों के ग्रुप (समूह) के आकार को परिभाषित किया गया है।

विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा भेजी गई अधिसूचना के अनुसार कक्षा में छात्रों की संख्या व उसका साइज तय किया गया है। स्नातक स्तर पर 60 छात्रों पर लेक्चरर, 30 छात्रों की संख्या ट्यूटोरियल और प्रेक्टिकल 25 छात्रों की संख्या पर है। इसी तरह स्नातकोत्तर स्तर पर 50 छात्र पर लेक्च र, ट्यूटोरियल के लिए 25 छात्रों की संख्या व प्रेक्टिकल के लिए 15 से 20 छात्रों की संख्या हो।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हंसराज सुमन का कहना है कि 2019 में विश्वविद्यालय द्वारा अपनाए गए एलओसीएफ पाठ्यक्रम में स्पष्ट रूप से 8-10 छात्रों को ट्यूटोरियल समूहों के आदर्श आकार के रूप में रखा गया है ताकि विभिन्न प्रकार के छात्रों की अलग-अलग जरूरतों को पूरा किया जा सके। इसी तरह, लैब छात्रों के समूह का आकार 12 छात्रों का होना चाहिए। डीयू प्रशासन इन सुविचारित मानदंडों को कम क्यों करना चाहता है जो कई दशकों के अकादमिक कामकाज के माध्यम से सिद्ध हुए हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय के इस नए कदम का कई शिक्षक व शिक्षक संगठन विरोध कर रहे हैं। फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा शिक्षकों के अध्यापन संबंधी जारी अधिसूचना को हास्यास्पद और शिक्षक विरोधी बताया है। उन्होंने बताया है कि नई गाइडलाइंस भविष्य में 50 फीसदी शिक्षकों का वर्कलोड कम कर देगी। क्योंकि यह एलओसीएफ कोर्सवर्क के हिस्से के रूप में अकादमिक परिषद द्वारा अपनाए गए मानदंडों का पूरी तरह से उल्लंघन करती है।

यह अधिसूचना शिक्षक -शिक्षण वातावरण को फिर से परिभाषित करेगी। शिक्षकों का आरोप है कि इसे वैधानिक निकायों में बिना किसी विचार-विमर्श के जारी किया गया है। फोरम के अध्यक्ष प्रोफेसर हंसराज सुमन ने कुलपति से मांग की है कि 22 नवंबर को अकादमिक परिषद की हो रही बैठक में इस अधिसूचना पर एकेडमिक काउंसिल में चर्चा कराएं और सदस्यों से पास होने के बाद ही इसे लागू करें।

उनका कहना है कि नई नीति पूरी तरह से शिक्षक विरोधी है जो वर्तमान में लगे एडहॉक शिक्षकों की छंटनी करना चाहती है। उन्होंने 30 छात्रों का एक ट्यूटोरियल आकार एक उपहास बताया है। यह शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया के शैक्षणिक और कार्यभार दोनों आयामों के संदर्भ में एक ट्यूटोरियल प्रणाली होने के आधार को पूरी तरह से कमजोर करता है।

डॉ. सुमन का यह भी कहना है कि यह अधिसूचना इस वर्ष लागू किए गए चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम के चौथे वर्ष के लिए शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखाने की तरह है। यह पूरी तरह से विश्वविद्यालय द्वारा एक हताश कार्य की तरह दिखता है। यह सब इसलिए किया जा रहा है क्योंकि अंडरग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क (यूजीसीएफ) संरचना को लागू करने की कोशिश है लेकिन वह विश्वविद्यालय व कॉलेजों को अतिरिक्त अनुदान और शिक्षण पदों पर चुप है।

 

 (आईएएनएस)

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Created On :   18 Nov 2022 1:00 PM IST

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