संग्रहालय विज्ञान विभाग वाले देश के चुनिंदा शिक्षण संस्थानों में शामिल हुआ बीएचयू
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) देश के उन चुनिंदा शिक्षण संस्थानों में शामिल हो गया है, जहां संग्रहालय विज्ञान पर एक अलग विभाग संचालित होगा। अब तक संग्रहालय विज्ञान विश्वविद्यालय के कला संकाय स्थित प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति व पुरातत्व विभाग में एक अनुभाग के तौर पर चल रहा था।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विजि़टर यानी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी तथा विश्वविद्यालय के परिनियमों में आवश्यक संशोधन के पश्चात नए विभाग की स्थापना को लेकर आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी गई है। इस नए विभाग के अस्तित्व में आने से अब कला संकाय, जिसे मातृ संकाय के नाम से भी जाना जाता है, के विभागों की संख्या 21 से बढ़कर 22 हो गई है।
संग्रहालय विज्ञान एक अंतर्विषयी पाठ्यक्रम है, जिसके पेशेवरों व विशेषज्ञों की मांग में इजाफा देखने को मिल रहा है, ऐसे में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में इस नए विभाग की स्थापना काफी महत्वपूर्ण है। भारत में 1000 से अधिक संग्रहालय हैं और भविष्य में कई अन्य संग्रहालय भी आरंभ होने वाले हैं। ऐसे में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय इस दिशा में अहम भूमिका निभाने को तैयार है, क्योंकि अन्य विषयों की भांति बीएचयू इस क्षेत्र में भी कुशल पेशवर तैयार करेगा।
फिलहाल भारत के चुनिंदा शिक्षण संस्थानों में ही संग्रहालय विज्ञान के लिए पृथक विभाग संचालित हो रहे हैं, जहां इससे संबंधित पाठ्यक्रम चल रहे हैं। इन संस्थानों में राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान (डीम्ड विश्वविद्यालय) नई दिल्ली, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय वडोदरा (गुजरात), इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक (मध्य प्रदेश), तथा कलकत्ता विश्वविद्यालय प्रमुख रूप से शामिल हैं।
बीएचयू की प्रोफेसर उषा रानी तिवारी संग्रहालय विज्ञान विभाग की आचार्य हैं। उन्होंने बताया कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में संग्रहालय विज्ञान में स्नातकोत्तर, डॉक्टोरल तथा पोस्टडॉक्टोरल अध्ययन के लिए विद्यार्थी आते हैं। बीएचयू में संग्रहालय विज्ञान विषय की पढ़ाई वर्ष 1968 से जारी है, जब भारत कला भवन के अंतर्गत पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा आरंभ किया गया था।
इस पाठ्यक्रम को 1979 में एम. ए. डिग्री के रूप में परिवर्तित किया गया था। साल 2006 में संग्रहालय विज्ञान अनुभाग को प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति व पुरातत्व विभाग का भाग बना दिया गया था। फिलहाल स्नातकोत्तर डिग्री पाठ्यक्रम में 15 सीटें हैं, जिनमें से 2 पेड सीटें हैं।
प्रो. तिवारी ने कहा कि इस विषय में वह पिछले 20 वर्षों से अध्यापन कर रही हैं। उन्होंने बताया कि इस विषय में शिक्षा प्राप्त करने के बाद विद्यार्थियों के समक्ष संग्रहालय निदेशक, कॉन्जरवेटर तथा सहायक आचार्य समेत अन्य कई पदों पर रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं। प्रो. उषा रानी तिवारी ने कहा कि नया विभाग शुरू होना काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के लिए अत्यंत गर्व का विषय है और इससे विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा व प्रसिद्धि में और वृद्धि होगी।
सोर्स- आईएएनएस
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Created On :   20 Jun 2022 8:00 PM IST