Skanda shasthi 2024: इस दिन होती है शिव पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा, जानिए इसका महत्व

इस दिन होती है शिव पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा, जानिए इसका महत्व
  • स्कंद षष्ठी 15 मार्च 2024 दिन शुक्रवार को है
  • इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा होती है
  • जीवन में सुख-समृद्धि एवं खुशहाली आती है

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदी कैलेंडर के अनुसार, प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत किया जाता है। इस बार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की स्कंद षष्ठी 15 मार्च 2024 दिन शुक्रवार को पड़ रही है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र कुमार कार्तिकेय भगवान को समर्पित है। षष्ठी तिथि कार्तिकेय जी की होने के कारण इसे कौमारिकी भी कहा जाता है। कहते हैं इस दिन संसार में हो रहे कुकर्मों को समाप्त करने के लिए कार्तिकेय का जन्म हुआ था। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने और व्रत करने से व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि एवं खुशहाली की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व, शुभ मुहूर्त और व्रत पूजा विधि।

स्कन्द षष्ठी मुहूर्त

षष्ठी तिथि आरंभ: 14 मार्च गुरुवार, रात 11 बजकर 26 मिनट से

षष्ठी तिथि समाप्त: 15 मार्च, शुक्रवार रात 10 बजकर 9 मिनट तक

इन बातों का रखें ध्यान

इस दिन दान- पुण्य का बड़ा महत्व है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, स्कंद षष्ठी पूजन में तामसिक भोजन मांस, शराब, प्याज, लहसुन का त्याग करना चाहिए और ब्रह्मचर्य आवश्यक होता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय पर दही में सिंदूर मिलाकर चढ़ाने से व्यवसाय पर आ रहे व्यावसायिक कष्ट समाप्त हो जाते हैं और आर्थिक स्थिति अच्छी होती है। इस दिन पूरे मन से भगवान कार्तिकेय का पूजन करने से जीवन के अनेक प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।

स्कन्द षष्ठी की पूजा विधि

- सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नानादि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करें।

- इसके बाद घर के मंदिर की सफाई करें और एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं।

- अब भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा की स्थापना करें।

- इनके साथ ही शंकर-पार्वती और गणेश जी की मूर्ति भी स्थापित करें।

- इसके बाद कार्तिकेय जी के सामने कलश स्थापित करें।

- पहले गणेश वंदना करें और संभव हो तो अखंड ज्योत जलाएं।

- इसके बाद भगवान कार्तिकेय पर जल अर्पित करें और नए वस्त्र चढ़ाएं।

- पुष्प या फूलों की माला अर्पित कर फल, मिष्ठान का भोग लगाएं।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   14 March 2024 5:57 AM GMT

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