विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा आज हुई प्रारंभ, जानिए क्या है इस यात्रा में विशेष
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। हिन्दू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष आसाढ़ मास की द्वितीय तिथि से भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा शुरु होती है। दो वर्षो के कोरोना काल के पश्चात इस वर्ष 1 जुलाई से रथयात्रा का शुभारंभ हो रहा है। इस पर्व का सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध स्थान देश के पुरी शहर को माना जाता हैं जहां भगवान जगन्नाथ का विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर स्थित है जहां से हर वर्ष रथयात्रा के दिन तीन सजे-धजे रथ निकलते हैं। आइए जानते है रथ यात्रा से जुड़ी कुछ रोचक बातें-
रथयात्रा नामकरण
हर वर्ष रथ यात्रा के लिए भगवान जगन्नाथ का रथ केवल श्रीमंदिर के बढ़ई द्वारा ही बनाए जाते हैं। रथ बनाने वाले बढ़ई भोई सेवायत कहे जाते हैं। यह घटना प्रत्येक वर्ष दोहराई जाने के कारण इस पर्व को रथ यात्रा के नाम से जाना जाता है।
108 घड़ों के जल से कराया जाता है भगवान जगन्नाथ को स्नान
भगवान जगन्नाथ को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को कुएं के पानी से स्नान करवाया जाता हैं और वह कुआ साल में केवल एक बार ही खोला जाता है। भगवान जगन्नाथ को स्नान सदैव 108 घड़ों के पानी से कराया जाता है।
रथ यात्रा पर्व की कुछ खास बातें
1. हर वर्ष पुरी में तीन रथों में रथ यात्रा निकलती हैं जिसमें भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे पीछे रहता है वही सबसे आगे भाई बलराम और बीच मे बहन देवी सुभद्रा का रथ होता हैं।
2. सबसे आगे भाई बलराम का रथ का रंग लाल और हरा होता है जिसे ताजध्वज कहते हैं। वही देवी सुभद्रा के काले और लाल रंग के रथ को पद्य रथ कहते हैं। भगवान जगन्नाथ के लाल और पीले रंग के रथ को गरुड़ध्वज या नंदीघोष कहते है।
3. रथ यात्रा के सभी रथो को दारु कहे जाने वाले नीम की लकड़ियों से बनाया जाता है जिसके निमार्ण में किसी प्रकार के धातु जैसे कील, कांटो का उपयोग नही किया जाता हैं।
4. रथ निर्माण के लिए एक विशेष समिति का चयन किया जाता हैं और रथ निर्माण का कार्य अक्षय तृतीया से शुरु हो जाता है।
5. भगवान जगन्नाथ जी के रथ की ऊंचाई 45.6 फीट, बलराम जी के 45 फीट और देवी सुभद्रा के रथ की ऊंचाई 44.6 फीट होती हैं।
6. तीनों रथों के तैयार होने के बाद पुरी के गजपति राजा तीनों रथों की विधिवत पूजा करते हैं, इस अनुष्ठान को छर पहनरा कहते हैं ।
7. रथ यात्रा की शुरुआत जगन्नाथ मंदिर से होती है जो पुरी नगर से होते हुए गुड़ीचा मंदिर तक जाती हैं। जहां भगवान जगन्नाथ, बलराम जी और देवी सुभद्रा सात दिनों तक आराम करते हैं।
8. गुड़ीचा मंदिर भगवान जगन्नाथ के मौसी का घर माना जाता हैं।
9. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलराम जी की प्रतिमाओं का निर्माण किया था।
10. आषाढ़ मास के दशवें दिन भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पुन: मुख्य मंदिर में वापस आती हैं जिसे बहुड़ा यात्रा के नाम से जाना जाता हैं।
Created On :   1 July 2022 11:20 PM IST