जानें किस भगवान को लगाएं कौन-सा भोग, जिससे मिलेगा पुण्य
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। घर हो या मंदिर हम सब पूजा के दौरान भगवान को भोग लगाते हैं। आम तौर पर पूजा के समय कोई खाद्य सामग्री देवी-देवताओं के समक्ष भोग के रूप में अर्पण की जाती है और वही सामग्री प्रसादी के रूप में वितरण भी होती है। तुलसीकृत जलामृत व पंचामृत के बाद बांटे जाने वाले पदार्थ को भी हम "प्रसाद" कहते हैं। देखा जाए तो भोग भगवान के प्रति एक भाव है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि किस भगवान को कौन सा भोग लगाना चाहिए, जिससे हमें पुण्य प्राप्त हो। आइए जानते हैं...
भोग मंत्र :-
पत्रं, पुष्पं, फलं, तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मन:।"
भावार्थ :-
जो कोई भक्त मेरे लिए प्रेम से पत्र, पुष्प, फल, जल आदि अर्पण करता है, उस शुद्ध बुद्धि निष्काम प्रेमी का प्रेमपूर्वक अर्पण किया हुआ वह पत्र-पुष्पादि मैं सगुण रूप में प्रकट होकर प्रीति सहित खाता हूं। -श्रीकृष्ण
यज्ञ की आहुति भी देवता का प्रसाद है :-
प्रसाद चढ़ावे को नैवेद्य, आहुति और हव्य से जोड़कर देखा जाता रहा है, लेकिन प्रसाद को प्राचीनकाल से ही "नैवेद्य" कहते हैं, जो कि शुद्ध और सात्विक अर्पण होता है। इसका संबंध किसी बलि आदि से नहीं होता। हवन की अग्नि को अर्पित किए गए भोजन को "हव्य" कहते हैं।
प्राचीनकाल से ही प्रत्येक हिन्दू भोजन करते वक्त उसका कुछ हिस्सा देवी-देवताओं को समर्पित करते आया है। यज्ञ के अलावा वह घर-परिवार में भोजन का एक हिस्सा अग्नि को समर्पित करता था। अग्नि उस हिस्से को देवताओं तक पहुंचा देती थी। चढा़ए जाने के उपरांत नैवेद्य द्रव्य "निर्माल्य" कहलाता है।
प्रचलित प्रसाद :-
गुड़-चना, चना-मिश्री, नारियल-मिठाई, लड्डू, फल, दूध और सूखे मेवे।
विष्णुजी को लगाएं ये भोग :-
विष्णुजी को खीर या सूजी के हलवे का नैवेद्य बहुत प्रिय है। उसे उत्तम प्रकार से बनाएं और फिर विष्णुजी को भोग लगाने के बाद वितरित करें।
सूजी का हलवा भी विष्णुजी को बहुत प्रिय है। सूजी के हलवे में भी लगभग सभी तरह के सूखे मेवे मिलाकर उसे भी उत्तम प्रकार से बनाएं और भगवान को भोग लगाएं।
शिवजी को लगाएं ये भोग :-
शिव को भांग और पंचामृत का नैवेद्य प्रिय है। शिवजी को दूध, दही, शहद, शकर, घी, जलधारा से स्नान कराकर भांग-धतूरा, गंध, चंदन, फूल, रोली, वस्त्र अर्पित किए जाते हैं। शिवजी को रेवड़ी, चिरौंजी और मिश्री भी अर्पित की जाती है।
हनुमानजी को लगाएं ये भोग :-
हनुमानजी को हलुआ, पंच मेवा, गुड़ से बने लड्डू या रोठ, डंठल वाला पान, बूंदी लड्डू और केसर-भात प्रिय हैं। साथ ही हनुमानजी को कुछ लोग इमरती भी अर्पित करते हैं।
लक्ष्मीजी को लगाएं ये भोग :-
लक्ष्मीजी को धन की देवी माना गया है। कहते हैं कि अर्थ बिना सब व्यर्थ है। लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने के लिए उनके प्रिय भोग को लक्ष्मी मंदिर में जाकर अर्पित करना चाहिए।
लक्ष्मीजी को सफेद और पीले रंग के मिष्ठान्न, केसर-भात बहुत पसंद हैं। कम से कम 11 शुक्रवार को जो कोई भी व्यक्ति एक लाल फूल अर्पित कर लक्ष्मीजी के मंदिर में उन्हें यह भोग लगाता है तो उसके घर में हर तरह की शांति और समृद्धि रहती है। किसी भी प्रकार से धन की कमी नहीं रहती।
दुर्गाजी को लगाएं ये भोग :-
दुर्गा मां को शक्ति की देवी माना गया है। दुर्गाजी को खीर, मालपुए, मीठा हलुआ, पूरणपोळी, केले, नारियल और मिष्ठान्न बहुत पसंद हैं। नवरात्रि के मौके पर उन्हें प्रतिदिन इसका भोग लगाने से हर तरह की मनोकामना पूर्ण होती है, खासकर माताजी को सभी तरह का हलुआ बहुत प्रिय है।
सरस्वतीजी को लगाएं ये भोग :-
माता सरस्वती को ज्ञान की देवी माना गया है। ज्ञान कई तरह का होता है। स्मृतिदोष है तो ज्ञान किसी काम का नहीं। ज्ञान को व्यक्त करने की क्षमता नहीं है, तब भी ज्ञान किसी काम का नहीं। ज्ञान और योग्यता के बिना जीवन में उन्नति संभव नहीं।
माता सरस्वती को दूध, पंचामृत, दही, मक्खन, सफेद तिल के लड्डू तथा धान का लावा प्रिय है। सरस्वतीजी को यह भोग किसी मंदिर में जाकर अर्पित करना चाहिए, तो ही ज्ञान और योग्यता का विकास होगा।
गणेशजी को लगाएं ये भोग :-
गणेशजी को मोदक या लड्डू का नैवेद्य बहुत प्रिय है। मोदक के अतिरिक्त गणेशजी को मोतीचूर के लड्डू भी बहुत प्रिय हैं। शुद्ध घी से बने बेसन के लड्डू भी प्रिय होते हैं। नारियल, तिल और सूजी के लड्डू भी उनको अर्पित किए जाते हैं।
श्रीराम जी को लगाएं ये भोग :-
भगवान श्रीरामजी को केसर भात, खीर, धनिए का भोग आदि प्रिय होते हैं। साथ ही उनको कलाकंद, बर्फी, गुलाब जामुन का भोग भी प्रिय है।
श्रीकृष्ण जी को लगाएं ये भोग :-
भगवान श्रीकृष्ण को माखन और मिश्री का नैवेद्य अति प्रिय है। साथ ही खीर, हलुआ, पूरनपोळी, लड्डू और सिवइयां भी उनको प्रिय होता हैं।
कालिका और भैरव को लगाएं ये भोग :-
माता कालिका और भगवान भैरवनाथ को लगभग एक जैसा ही भोग लगता है। हलुआ, पूरी और मदिरा उनके प्रिय भोग हैं। किसी अमावस्या के दिन काली या भैरव मंदिर में जाकर उनकी प्रिय वस्तुएं अर्पित करें। इसके अलावा इमरती, जलेबी और पांच प्रकार के मिष्ठान भी अर्पित की जाते हैं और काजल, उड़द, नारियल और पांच फल चढ़ाएं। कुछ लोग उनको मदिरा भी अर्पित करते हैं। इसी प्रकार कालभैरव के मंदिर में मदिरा अर्पित की जाती है।
Created On :   30 April 2019 5:07 PM IST