Margashirsha Purnima: जानें साल की आखिरी पूर्णिमा का महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि का बहुत महत्व है। वहीं मार्गशीष माह के आखिर में आने वाली पूर्णिमा तिथि को स्नान दान पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसे मार्गशीष पूर्णिमा या अगहन पूर्णिमा भी कहा जाता है, जो कि आज 30 दिसंबर बुधवार को है। पंचांग के अनुसार यह इस साल की आखिरी पूर्णिमा है। मार्गशीर्ष मास को भगवान श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय मास माना गया है। इसलिए इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है।
इस दिन पवित्र नदी सरोवरों में स्नान करने का पुण्य है। माना जाता है कि इस दिन पूजा और व्रत रखने से जीवन में आने वाली कई परेशानियों से मुक्ति दिलाता है। वहीं भगवान सत्यानारायण की पूजा भी इस दिन की जाती है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा सुनना और पढ़ना शुभ माना गया है।
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शुभ मुहूर्त
तिथि प्रारंंभ: 29 दिसंबर, शाम 7 बजकर 54 मिनट से
तिथि समापन: 30 दिसंबर, रात 8 बजकर 57 तक
पूजा-विधि
माता अन्नपूर्णा देवी अन्न की देवी हैं। पूर्णिमा के इस अवसर पर रसोई घर को साफ किया जाना चाहिए। यही नहीं पूरे घर में गंगा जल छिड़क कर घर को शुद्ध करना चाहिए। इस दिन घर के चूल्हे की पूजा करनी चाहिए। इस दिन अन्नपूर्णा जयंती के दिन माता पार्वती तथा भगवान शिव की पूजा-अर्चना करनी चहिए। माता अन्नपूर्णा की पूजा करने से घर में कभी अन्न और जल की कमी नहीं होती है।
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मान्यता
भगवान विष्णु का प्रिय भोग चूरमा होता है, इस दिन विष्णु जी को भोग लगाया जाता है। इस दिन पूजा के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है। इस दिन लोग ब्रह्मणों को दान-दक्षिणा देते हैं। मान्यता है कि इस दिन जो व्रत करता है उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान विष्णु पूरी करते हैं।
वहीं चन्द्रमा इस तिथि के स्वामी होते हैं। अतः इस दिन हर तरह की मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। इस दिन चंद्र देव की पूजा करने से चंद्र ग्रह के दोषों से मुक्ति मिलती है। इस दिन चंद्र ग्रह के क्रूर प्रभाव से बचने के लिए कन्या और परिवार की सभी स्त्रियों को वस्त्र देने चाहिए।
Created On :   30 Dec 2020 6:48 AM GMT