जानें इस व्रत का क्या है महत्व, कैसे करें पूजा और क्या है विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग का ग्यारहवां मास माघ अपने अंतिम चरण में है। पूर्णिमा के साथ ही इस माह का समापन होगा, जो कि 16 फरवरी, बुधवार को है। माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने की वजह से पूर्णिमा तिथि को माघ पूर्णिमा या माघी पूर्णिमा भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस मौके पर प्रयागराज के संगम में स्नान करने से आप पुण्य प्राप्त होता है। इस खास मौके पर सत्यनारायण भगवान की कथा सुनना भी लाभकारी होता है।
माघ पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी और चंद्र देव की भी पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से कुंडली से चंद्र दोष दूर और माता लक्ष्मी की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि, धन एवं एश्वर्य प्राप्त होता है।
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मुहूर्त
तिथि आरंभ: 15 फरवरी, बुधवार रात 09 बजकर 42 मिनट से
तिथि समापन: 16 फरवरी, गुरुवार रात 01 बजकर 25 मिनट तक
माघ पूर्णिमा पर बन रहें हैं खास योग
बता दें कि इस साल माघ पूर्णिमा पर खास योग बन रहे हैं। शोभन योग को अच्छा योग माना जाता है जो माघ पूर्णिमा की रात 08:44 बजे तक है। इस याग में मांगलिक एंव शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
क्यों किया जाता है स्नान एवं दान
इस माह में विष्णु पूजन, गंगा स्नान का खास महत्व माना जाता है। इस माह में प्रयागराज के तट पर कल्पवास किया जाता हैं। जिस दौरान गंगा स्नान और भक्ति-भजन किया जाता है। भगवान विष्णु एवं मां गंगा की कृपा से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं, मनोकामनाओं की पूर्ति और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।
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पूजा विधि
- माघ पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्यक्रमादि से निवृत्त होकर स्नान करें।
- संभव हो तो किसी पवित्र नदी, जलाशय, कुआं या बावड़ी में स्नान करें।
- सूर्यदेव को जल चढ़ाएं और व्रत का संकल्प लें।
- इस दिन भगवान विष्णु का पूजन, पितरों का श्राद्ध और गरीब व्यक्तियों को दान देना चाहिए।
- दोपहर में गरीब व्यक्ति और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देना चाहिए।
- दान में तिल और काले तिल विशेष रूप से दान में देना चाहिए।
Created On :   15 Feb 2022 1:39 PM GMT