दस साल बाद शुभ संयोग में मनेगी रामनवमी, जानिए क्या है शुभ योग, मुहूर्त और पूजन विधि

Know the worship method and auspicious time on Ramnavami 10 April
दस साल बाद शुभ संयोग में मनेगी रामनवमी, जानिए क्या है शुभ योग, मुहूर्त और पूजन विधि
10 अप्रैल को रामनवमी दस साल बाद शुभ संयोग में मनेगी रामनवमी, जानिए क्या है शुभ योग, मुहूर्त और पूजन विधि

डिजिटल डेस्क, भोपाल।  हिंदू धर्म में नवरात्रि का कुछ विशेष ही महत्व होता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग 9 स्वरूपों की पूजा- अर्जना कि जाती है । मां दुर्गा को समृद्धि, सुख, और धन की देवी माना जाता है। चैत्र माह की नवरात्रि के नवें दिन रामनवमी मनाई जाती है। इस बार श्रीराम जन्मोत्सव 10 अप्रैल दिन रविवार को चैत्र शुल्क पक्ष  में मनाया जाएगा। भगवान श्रीराम भक्त हनुमान जी के मंदिरों में भक्तों की तांता लगा रहेगा।

दस साल बाद दुर्लभ संयोग

खास बात यह है कि इस बार रवि पुष्प, श्रीवस्त, त्रिवेणी और सुकर्मा  योग में रामनवमी मनाई जाएगी। ऐसा संयोग काफी सालों बाद बना है। रामनवमी पर इस वर्ष रवि पुष्य योग बन रहा है जो पूरे 24 घंटे तक रहने वाला है। पुष्य नक्षत्र रविवार यानि 10 अप्रैल को सूर्योदय के साथ शुरू होगा और अगले दिन सूर्योदय तक रहेगा। इस वर्ष कुल चार रवि पुष्य होंगे, लेकिन 24 घंटे की अवधि सिर्फ रामनवमी वाले रवि पुष्य योग की होगी। खरीदारी के लिए इसे अबूझ मुहूर्त भी माना जा रहा है। ज्योतिर्विदों का कहना है कि इससे पहले ऐसा शुभ संयोग 1 अप्रैल 2012 को बना था और अब 6 अप्रैल 2025 को दोबारा ऐसा योग बनेगा।

शुभ मुहूर्त

सभी मंदिरों में रामनवमी के दिन पूजा-अर्चना के लिए भक्तों की कतारें लगेंगी। और मंदिरों को सतरंगी लड़ियों से सजाया-संवारा जा रहा है। ज्योतिष के अनुसार रामनवमी का व्रत मध्याहव्यापनी दशमी विद्वा नवमी को करना चाहिए। भगवान श्रीराम का जन्म कर्क लग्न में हुआ था।

प्रात: अमृत योग में 5.55 से 9.32 तक, आनंद योग 9.33 से 11.44 तक, कर्क लग्न में मध्याह्न 11.45 से 2.03 तक और त्रिवेणी योग में 2.04 से 5.36 तक।

कैसे करें पूजा:
पूजा के लिए  प्रात: स्नान आदि कर के मां सिद्धिदात्री, श्रीराम और हनुमान जी की पूजा का संकल्प लें। फिर मातारानी और भगवान जी को सिंदूर, पुष्प, गंध, अक्षत्, और फल समर्पित करें। उनको ​विशेषकर तिल का भोग लगाएं और अंत में मां सिद्धिदात्री की आरती करें। मातारानी को प्रसन्न करने के लिए मां को खीर, मालपुआ, मीठा हलुआ, पूरणपोली, केला, नारियल भोग लगा सकते हैं। और हनुमान चालिसा का पाठ करें और 108 बार ऊं रां रामाय नम: का जाप करें। इसके बाद सुंदरकांड या श्रीराम स्त्रोत का पाठ करना चाहिए।

असुरों के संहार के लिए भगवान राम का जन्म

रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। भगवान राम को विष्णु जी का अवतार माना जाता है। धरती पर असुरों का संहार करने के लिए भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में श्रीराम के रूप में अवतार लिया था। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है।


 

Created On :   9 April 2022 11:45 AM IST

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