आज है ये व्रत, जानें क्या है मुहूर्त और पूजा विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है, जो कि हर माह के दोनों पक्षों में आती है। लेकिन इनमें जया एकादशी खास मानी गई है, जिसे समस्त पापों का हरण करने वाली तिथि माना गया है। इस बार जया एकादर्शी 12 फरवरी, शनिवार को है। ये दिन श्री हरि यानी कि भगवान विष्णु को समर्पित होता है।
यह अपने नाम के अनुरूप फल भी देती है। इस दिन व्रत धारण करने से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है व जीवन के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है। शास्त्रों के मुताबिक, इस दिन व्रत करने से स्वर्ण दान, भूमि दान, अन्न दान और गौ दान से अधिक पुण्य मिलता है। आइए जानते हैं इस व्रत की विधि, मुहूर्त और पूजा की विधि...
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शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 11 फरवरी, शुक्रवार दोपहर 01:52 मिनट से
तिथि समापन: 12 फरवरी, शनिवार सायं 04:27 मिनट तक
उदयातिथि 12 फरवरी दिन शनिवार को है, इसलिए जया एकादशी व्रत 12 फरवरी को मान्य है।
व्रत व पूजा विधि
एकादशी से पहले दिन यानि दशमी को एक वेदी बनाकर उस पर सप्तधान रखें फिर अपनी क्षमतानुसार सोने, चांदी, तांबे या फिर मिट्टी का कलश बनाकर उस पर स्थापित करें। एकादशी के दिन पंचपल्लव कलश में रखकर भगवान विष्णु का चित्र या की मूर्ति की स्थापना करें और धूप, दीप, चंदन, फल, फूल व तुलसी आदि से श्री हरि की पूजा करें।
द्वादशी के दिन ब्राह्ण को भोजन आदि करवाएं व कलश को दान कर दें। इसके बाद व्रत का पारण करें। व्रत से पहली रात्रि में सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए, ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस प्रकार विधिपूर्वक उपवास रखने से उपासक को कठिन से कठिन परिस्थियों में भी विजय प्राप्त होती है।
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भगवान विष्णु का करें ध्यान
पूजा से पूर्व एक वेदी बनाकर उस पर सप्त धान रखें। वेदी पर जल कलश स्थापित कर, आम या अशोक के पत्तों से सजाएं। इस वेदी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। पीले पुष्प, ऋतुफल, तुलसी आदि अर्पित कर धूप-दीप से आरती उतारें। भगवान श्री नारायण की उपासना करें। व्रत की सिद्धि के लिए घी का अखंड दीपक जलाएं।
Created On :   9 Feb 2022 10:59 AM GMT