जानें क्या है हरियाली तीज का महत्व, कैसे करें पूजा और क्या है मुहूर्त?
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है। इसे श्रावणी तीज, कजली तीज या मधुश्रवा तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष यह त्यौहार 11 अगस्त, बुधवार को मनाया जा रहा है। तीज पर्व के एक दिन पहले ही विवाहित महिलाएं तथा कन्याएं अपने हाथों में मेहंदी लगाकर इसको मनाती हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। वही कुंआरी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं। हरियाली तीज भगवान शिव और मां पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
बताया जाता है कि हरियाली तीज के दिन माता पार्वती ने काफी कठिन तपस्या को पूरा करके भगवान शंकर को पाया था। इस तीज पर्व पर माता पार्वती की अवतार तीज माता की उपासना की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ही श्रावण महीने की तृतीया तिथि को देवी के रूप में (तीज माता के नाम से) अवतरित हुई थीं। आइए जानते हैं इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...
भगवान शिव की पूजा करते समय ध्यान रखने योग्य वो बातें
शुभ मुहर्त
तृतीया तिथि आरंभ: 10 अगस्त, मंगलवार शाम 06 बजकर 11 मिनट से
तृतीया तिथि समापन: 11 अगस्त, बुधवार शाम 04 बजकर 56 मिनट तक
विशेष योग
शिव योग: शाम 07 बजकर 58 मिनट तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 32 मिनट से दोपहर 03 बजकर 22 मिनट तक
रवि योग: सुबह 11 बजकर 02 मिनट से 12 अगस्त सुबह 06 बजकर 04 मिनट तक
महत्व
यह पर्व हरियाली तीज से 1 दिन पहले सिंजारा के रूप में मनाया जाता है। इस व्रत को निर्जला किए जाने का विधान है। यह त्योहार वैसे तो 3 दिन मनाया जाता है लेकिन समय के आभाव के कारण लोग इसे 1 ही दिन मना पाते हैं। इसमें पत्नियां निर्जला व्रत रखती हैं। हाथों में नई चूड़ियां, मेहंदी और पैरों में अल्ता (महोर) लगाती हैं। जो सुहाग का प्रतीक माना जाता है और नए वस्त्र धारणकर माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। यह व्रत केवल महिलाओं तक ही सीमित नहीं होता, इसे कई स्थानों पर पुरुष माता की प्रतिमा को पालकी पर बैठाकर झांकी भी निकालते हैं।
पूजा विधि
- इस दिन साफ-सफाई कर घर को तोरण-मंडप से सजाएं।
- इसके बाद मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश और माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं और इसे चौकी पर स्थापित करें।
- मिट्टी की प्रतिमा बनाने के बाद देवताओं का आह्वान करते हुए षोडशोपचार पूजन करें।
- फूल, बेलपत्र, दूब, शमि पत्र, धतूरा, भांग, शिव जी के लिए आंक, कनेर और धतूरा का फूल एवं माता के लिए मंदार या लाल कनेर का फूल पूजन के लिए विशेष रूप से प्रयोग में लाएं।
- इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं और पूरी विधि-विधान से मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं।
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- हरियाली तीज व्रत का पूजन रातभर चलता है। इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैं।
- सभी महिलाओं में से एक महिला कथा सुनाए, अन्य सभी महिलाएं कथा को ध्यान से सुनें व मन में पति का ध्यान करें और पति की लंबी आयु की कामना करें।
- प्रसाद के लिए मिठाई, नारियल एवं कोई भी मौसमी फल ।
- आरती के लिए धूप, दीप, अगरबत्ती। आरती के बाद हरियाली तीज की कथा सुनें।
- इस दिन सुहागन महिलाएं अपनी सास के पांव छूकर उन्हें सुहाग सामग्री देती हैं। सास न हो तो जेठानी या घर की बुजुर्ग महिला को देती हैं। इस सामग्री में 16 श्रृगांर की समाग्री जैसे चूड़ी, मेंहदी, आलता, बिछिया, साड़ी, सिंदूर, बिंदी, काजल, कंघी, शिशा, तेल, नेलपॉलिश आदि शामिल होती है।
Created On :   9 Aug 2021 5:45 PM IST