यीशु के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है यह पर्व, जानें इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गुड फ्राइडे इसाईयों का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो ईसा मसीह के बलिदान का प्रतीक है। इसे प्रभु यीशु के बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन यहूदीयों शासकों द्वारा ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था। इसलिए इसे ब्लैक फाइडे भी कहा जाता है और इस दिन लोग प्रभु यीशु के बलिदान को याद कर शोक जताते हैं। यही कारण भी है कि, इस दिन लोग आम दिनों की तरह चर्च में घंटी न बजाकर लकड़ी के खटखटे बजाए जाते हैं और क्रॉस चुनकर प्रभु यीशु का स्मरण करते हैं।
गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं। इस वर्ष (2023) यह त्योहार 07 अप्रैल यानि कि आज 07 अप्रैल 2023, शुक्रवार मनाया जा रहा है। यह त्योहार पवित्र सप्ताह के दौरान ही मनाया जाता है, जो ईस्टर संडे से पहले पड़ने वाले शुक्रवार को आता है। आइए जानते हैं इसका महत्व और इससे जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में।
गुड फ्राइडे का इतिहास
ईसाई धर्म के ग्रंथ के अनुसार आज से लगभग 2000 साल पहले ईसा मसीह जेरूसलम में लोगो को ईश्वर का संदेश देते थे और खुद को ईश्वर का, संदेश वाहक या पुत्र कहते थे जिससे कुछ लोग तो उनसे चिढ़ने लगे और कुछ लोग ईसा मसीह की बातों से प्रभावित होकर उनकी बातें मानने लगे। जो लोग ईसा मसीह से चिढ़ते थे उन्होंने उनकी शिकायत रोम के यहूदी शासक पोंटियस पिलातुस से करदी फिर उन्होंने ईसा मसीह पर राजद्रोह का आरोप लगाकर उन्हें मृत्यु दण्ड की सजा सुनाई। उन्हें क्रूस या कलवारी से लटकाकर उनके हाथ पैर में कीलें ठोक दी गई और सूली पर चढ़ाने से पहले उन्हें कांटो का ताज पहनाया गया।
शोक का दिवस है गुड फ्राइडे
गुड नाम से मानो लगता है जैसे खुशी का कोई त्योहार हो लेकिन गुड फ्राइडे खुशी का नहीं बल्कि ईसाईयों के लिए यह शोक का त्योहार है। यहूदी शासक ईसा मसीह के इंसानियत के भले के लिए किए गए कार्यों से बहुत चिढ़ते थे इसलिए उन्होंने ईसा मसीह को कई शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी और अंत में शुक्रवार के दिन उनको शूली पर चढ़ा दिया। कहा जाता है की ईसा मसीह ने ये दुख इंसानियत और मानव जाति के लिए सहे और हंसते हंसते सूली पर चढ़ गए।
ईसाई समुदाय के लोग इस प्रकार मनाते हैं गुड फ्राइड
गुड फ्राइडे के दिन किसी भी प्रकार का समारोह आयोजित नहीं किया जाता। इस दिन चर्च में प्रार्थना सभा आयोजित की जाती हैं। ईसाई धर्म के लोग इस दिन उपवास रख कर चर्च की सेवाओं में सम्मलित होकर इंसानियत के भले के लिए सुली पर चढ़ने वाले ईसा मसीह के लिए शोक मनाते हैं एवं जुलूस निकालते हैं।
ईसा मसीह के आखिरी शब्द
मृत्यु को इतने करीब देखते हुए भी उन्होंने ईश्वर से उन लोगों को क्षमा कर देने की ही प्रथना की जिन लोगों ने उन्हें सूली पर चढ़ाना चाहा। अपने मृत्यु से पूर्व उनके शब्द थे- "हे ईश्वर इन्हें क्षमा करें, क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं".....।
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Created On :   7 April 2023 4:15 PM IST