स्मरणमात्र से ही भक्तों के कष्ट दूर करते हैं भगवान दत्तात्रेय, जानें इस दिन की मान्यता

Dattatreya Jayanti 2022: know the importance of this day
स्मरणमात्र से ही भक्तों के कष्ट दूर करते हैं भगवान दत्तात्रेय, जानें इस दिन की मान्यता
दत्तात्रेय जयंती 2022 स्मरणमात्र से ही भक्तों के कष्ट दूर करते हैं भगवान दत्तात्रेय, जानें इस दिन की मान्यता

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक माने जाने वाले दत्तात्रेय की जयंती इस बार 07 दिसंबर, बुधवार को मनाई गई। पुराणों के अनुसार, भगवान दत्तात्रेय, अत्रि और अनुसूया के पुत्र हैं। उनका जन्म प्रदोष काल में हुआ। भगवान दत्तात्रेय को स्मृतगामी भी कहा जाता है। कहा जाता है कि वह स्मरणमात्र से ही अपने भक्तों के पास पहुंच जाते हैं। 

शास्त्रों के अनुसार, भगवान दत्तात्रेय ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों का स्वरूप हैं। साथ ही ईश्वर और गुरु दोनों के रूप में समाहित होने के चलते उन्हें "परब्रह्ममूर्ति सद्गुरु"और "श्रीगुरुदेवदत्त"भी कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान दत्तात्रेय ने 24 गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की थी। इन्हीं के नाम पर दत्त संप्रदाय का उदय हुआ। 

पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। 
- पूजा से पहले एक चौकी पर गंगाजल छिड़कर उस पर साफ आसन बिछाएं।
- भगवान दत्तात्रेय की तस्वीर स्थापित करें। 
- इसके बाद भगवान दत्तात्रेय को फूल, माला आदि अर्पित करें।
- भगवान की धूप व दीप से विधिवत पूजा करें।
- अंत में आरती गाएं और फिर प्रसाद वितरण करें। 

स्वरूप
पुराणों के अनुसार इनके तीन मुख, छह हाथ वाला त्रिदेवमयस्वरूप है। चित्र में इनके पीछे एक गाय तथा इनके आगे चार कुत्ते दिखाई देते हैं। औदुंबर वृक्ष के समीप इनका निवास बताया गया है। विभिन्न मठ, आश्रम और मंदिरों में इनके इसी प्रकार के चित्र का दर्शन होता है।

मान्यता
मान्यता के अनुसार दत्तात्रेय ने परशुरामजी को श्रीविद्या-मंत्र प्रदान की थी। यह भी मान्यता है कि शिवपुत्र कार्तिकेय को दत्तात्रेय ने विद्याएं दीक्षा दी थी। भक्त प्रह्लाद को अनासक्ति-योग का उपदेश देकर उन्हें श्रेष्ठ राजा बनाने का श्रेय दत्तात्रेय को ही जाता है। दूसरी ओर मुनि सांकृति को अवधूत मार्ग, कार्तवीर्यार्जुन को तन्त्र विद्या एवं नागार्जुन को रसायन विद्या इनकी कृपा से ही प्राप्त हुई। गुरु गोरखनाथ को आसन, प्राणायाम, मुद्रा और समाधि-चतुरंग योग का मार्ग भगवान दत्तात्रेय की भक्ति से ही प्राप्त हुआ। 

Created On :   6 Dec 2022 5:47 PM IST

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