उषा अर्घ्य पर उगते हुए सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य, जानें मुहूर्त
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में इन दिनों आस्था और विश्वास के महापर्व छठ की धूम है। इस पर्व के तीन दिन पूर्ण हो चुके हैं और अब चौथा दिन 31 अक्टूबर, सोमवार को है जिसे उषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। इस दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। बता दें कि, छठ पूजा के पहले दिन की शुरूआत नहाय-खाय से होती है। इसके देसरू दिन खरना और तीसरे दिन संध्या अर्घ्य होता जिसे काफी खास दिन भी माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, दिवाली के छह दिन बाद से शुरू होने वाले इस पर्व को संतान प्राप्ति और उसके खुशहाल जीवन की कामना के लिए कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस पूजा में सूर्य देव की भी पूजा की जाती है, इसलिए इसे सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है। आइए जानते हैं इस पर्व में चौथे दिन का महत्व...
शुभ मुहूर्त
सूर्योदय का समय: सुबह 06 बजकर 27 मिनट पर
महत्व
छठ पूजा के अंतिम और आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसी के साथ छठ के व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उदित होते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इस पूजा के बाद व्रती कच्चे दूध, जल और प्रसाद से व्रत का पारण करती हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
सूर्यदेव को सदैव तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें लाल चंदन, कुमकुम व लाल रंग के फूल डालें और फिर अर्घ्य दें। इसके साथ मंत्रों का जाप करते जाएं। अर्घ्य के वक्त तांबे का बर्तन आपके सिर तक इतना ऊंचा होना चाहिए कि अर्घ्य के जल को आप अपने नेत्रों से देख पाएं। इस जल के बीच से ही आपको सूर्य की उगती या डूबती हुई किरणें दिखाई दें। इसे नेत्रों के लिए भी अत्यंत ही उर्पयुक्त बताया गया है।
इन मंत्रों का करें जाप
ऊँ सूर्याय नम:
ऊँ आदित्याय नम:
ऊँ भाष्कराय नम:
शत्रु नाशाय ऊँ हृीं हृीं सूर्याय नमः
ऊँ घृणिः सूर्य आदिव्योम
ऊँ हृां हृीं सः सूर्याय नमः
डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।
Created On :   30 Oct 2022 5:38 PM IST