अपरा एकादशी 2020: आज इस मुहूर्त में करें पूजा, श्री हरि करें कृपा

Apara Ekadashi 2020: Know auspicious time of worship and fast method
अपरा एकादशी 2020: आज इस मुहूर्त में करें पूजा, श्री हरि करें कृपा
अपरा एकादशी 2020: आज इस मुहूर्त में करें पूजा, श्री हरि करें कृपा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एकादशी का हिन्दू धर्म में बड़ा महत्व माना गया है, इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। वहीं ज्‍येष्‍ठ मास के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। इसे अपरा एकादशी (Apara Ekadashi) या अचला एकादशी (Achala Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष अपरा एकादशी 18 मई सोमवार यानी कि आज है। हिन्‍दू पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार अपरा एकादशी के व्रत से सभी पाप नष्‍ट हो जाते हैं। 

इस एकादशी व्रत को पुण्य फल देने वाला बताया गया है। इसके प्रभाव से मनुष्य के कीर्ति, पुण्य और धन में वृद्धि होती है। इस व्रत के पुण्य से ब्रह्म हत्या, असत्य भाषण, झूठा वेद पढ़ने से लगा हुआ पाप आदि नष्ट हो जाता है। पद्म पुराण के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से मुनष्‍य भवसागर तर जाता है और उसे प्रेत योनि के कष्‍ट नहीं भुगतने पड़ते।

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मिलता है इतना पुण्य
इस व्रत को करने से मनुष्य को तीनों पुष्करों में स्नान के समान, गंगा जी के तट पर पिण्ड दान के समान और कार्तिक मास के स्नान के समान, सूर्य-चंद्र ग्रहण में कुरुक्षेत्र में यज्ञ, दान एवं स्नान के पुण्य के समान फल की प्राप्ति होती है।

अपरा एकादशी तिथि  
एकादशी तिथि प्रारंभ: 17 मई 2020, दोपहर 12 बजकर 42 मिनट से 
एकादशी तिथि समापन: 18 मई 2020, दोपहर 03 बजकर 8 मिनट तक 
पारण का समय: 19 मई 2020, सुबह 5 बजकर 28 मिनट से सुबह 8 बजकर 12 मिनट तक

इन बातों का रखें ध्यान
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पुराणों के अनुसार व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी के दिन शाम में सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए। 
व्रती को रात में भगवान का ध्यान करते हुए सोना चाहिए। 
इसके बाद एकादशी के दिन सुबह उठकर, स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। 
व्रती को पूजा में तुलसीदल, श्रीखंड चंदन, गंगाजल व फलों का प्रसाद अर्पित करना चाहिए। व्रत रखने वाले को पूरे दिन परनिंदा, झूठ, छल-कपट से बचना चाहिए। 
जो लोग व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए।

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व्रत विधि
एकादशी के दिन स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। 
इसके बाद भगवान विष्णु, कृष्ण तथा बलराम का धूप, दीप, फल, फूल, तिल आदि से पूजा करना चाहिए। 
इस पूरे दिन निर्जल उपवास करना चाहिए।
यदि संभव ना हो तो पानी तथा एक समय फल आहार ले सकते हैं। 
द्वादशी के दिन यानि पारण के दिन भगवान का पुनः पूजन कर कथा का पाठ करना चाहिए। 
कथा पढ़ने के बाद प्रसाद वितरण, ब्राह्मण को भोजन तथा दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए।
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Created On :   16 May 2020 5:04 AM GMT

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