अंगारकी संकष्टी चतुर्थी आज: जानें सावन माह की पहली चतुर्थी पर कैसे करें बप्पा की आराधना, क्या है शुभ मुहूर्त

Angaraki Sankashti Chaturthi: Know method of worship and muhurt
अंगारकी संकष्टी चतुर्थी आज: जानें सावन माह की पहली चतुर्थी पर कैसे करें बप्पा की आराधना, क्या है शुभ मुहूर्त
अंगारकी संकष्टी चतुर्थी आज: जानें सावन माह की पहली चतुर्थी पर कैसे करें बप्पा की आराधना, क्या है शुभ मुहूर्त

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। वहीं, अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। जबकि मंगलवार यानी आज 27 जुलाई को अंगारकी संकष्टी चतुर्थी  (Angarki Sankashti Chaturthi) है। ये श्रावण यानी कि सावन माह की पहली चतुर्थी है। 

आज के दिन प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश (Lord Ganesha) की विधि विधान से पूजा की जाती है। संकष्टी चतुर्थी को सभी कष्टों का हरण करने वाला माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और भगवान गणेश की आराधना करने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन श्रद्धालू इस व्रत को करने के साथ ही भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना करते हैं। आइए जानते हैं इस चतुर्थी के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में...

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अंगारकी संकष्टी चतुर्थी मुहूर्त
27 जून 2021, मंगलवार- शाम 03 बजकर 54 मिनट से
28 जून 2021, बुधवार दोपहर 02 बजकर 16 मिनट तक 

पूजन विधि
- इस दिन जातक को सूर्योदय से पूर्व उठना चाहिए।
- नित्यक्रमादि से निवृत्त होकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
- भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं और व्रत का संकल्प लें। 
- पूजा के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को ईशानकोण में चौकी पर स्थापित करें। 
- चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा पहले बिछा लें।
- भगवान गणेश को जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें।

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- अक्षत और फूल लेकर गणपति से अपनी मनोकामना कहें, उसके बाद ओम ‘गं गणपतये नम:’ मंत्र बोलते हुए गणेश जी को प्रणाम करें।
- इसके बाद एक थाली या केले का पत्ता लें, इस पर आपको एक रोली से त्रिकोण बनाएं।
- त्रिकोण के अग्र भाग पर एक घी का दीपक रखें। इसी के साथ बीच में मसूर की दाल व सात लाल साबुत मिर्च को रखें।
- पूजन के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें।
- इसके बाद सभी को लड्डू प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
- मालूम हो कि इस व्रत या उपवास को चंद्र दर्शन के बाद तोड़ा जाता है।

Created On :   26 July 2021 4:27 PM IST

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