Matsya Dwadashi 2024: मत्स्य द्वादशी पर श्रीहरि की पूजा से सभी कष्टों होंगे दूर, जानिए मुहूर्त
- भगवान विष्णु के मत्स्य स्वरूप की पूजा की जाती है
- पूजा करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिल सकता है
- तुलसी की माला से विष्णु जी के मंत्र का जाप करें
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मत्स्य द्वादशी (Matsya Dwadashi) मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के मत्स्य स्वरूप की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि, इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि विधान से श्रीहरि की पूजा करने से जातक को सभी कष्टों से छुटकारा मिल सकता है। इस वर्ष यह तिथि 12 दिसंबर 2024, गुरुवार को पड़ रही है। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व, मुहूर्त और पूजा विधि...
मत्स्य द्वादशी का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी की असावधानी से राक्षस हयग्रीव ने वेदों को चुरा लिया था। हयग्रीव द्वारा वेदों को चुरा लेने के कारण ज्ञान लुप्त हो गया। समस्त लोक में अज्ञानता का अंधकार फैल गया। तब भगवान विष्णु जी ने धर्म की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार धारण कर दैत्य हयग्रीव का वध किया और वेदों की रक्षा की तथा भगवान ब्रह्मा जी को वेद सौंप दिया।
पूजन विधि
- सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धरण करें।
- इसके बाद पूजा स्थान में चार भरे हुए कलश को पुष्प डालकर स्थापित करें।
- इसके बाद चारों कलश को तिल की खली से ढक कर इनके सामने भगवान विष्णु की पीली धातु की प्रतिमा स्थापित करें।
- यह चार कलश समुद्र का प्रतीक हैं। इसके बाद भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाएं।
- फिर केसर और गेंदे के फूल , तुलसी के पत्ते चढ़ाएं।
- भोग स्वरूप मिठाई चढ़ाकर इस मंत्र का जाप करें-ॐ मत्स्य रूपाय नमः।
तुलसी की माला से भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करें।
ओम भगवते वासुदेवाय नमः
ओम भगवते वासुदेवाय नमः
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Created On :   10 Dec 2024 6:06 PM IST